Jun 30, 2016

तुझे देख देख सोना-कलयुग २००५

पिछली एक पोस्ट में हमने बात की थी भाई-बहन गीतों पर.
ऐसे गीत जो कुम्भ के मेले में बिछड़े से सुनाई देते हैं. ऐसे
कुछ गीतों के फ़ादर से आज आपको मिलवाते हैं. सन २००५
की फिल्म कलयुग में राहत फतह अली खान का गाया एक
गीत है जो बेहद चर्चित हुआ था-तुझे देख देख सोना. इस
गीत से मिलते जुलते गीत कई हैं. यहाँ मिलते जुलते का अर्थ
मिलती जुलती धुन से है. गौरतलब है नुसरत फतह अली खान
और राहत फतह अली खान की गायकी की स्टाइल बॉलीवुड को
बेहद पसंद आई. यूँ कहें ये दोनों गायक आज की गायक पीढ़ी
के आदर्श हो गए तो शायद अतिशयोक्ति नहीं होगी.

प्रस्तुत गीत का मैं भी एक बड़ा फैन हूँ, अभी टेबल फैन ही हूँ,
सीलिंग फेन, पेडस्टल, कूलर, ए सी  बनने में समय लगेगा.
सधी हुई गायकी का फैन बनना कोई आसान काम नहीं है.

गीत सुनते हैं सईद कादरी का लिखा हुआ और फैज़ल रफ़ी संग
रोहिल हयात का संगीतबद्ध किया हुआ. गीत धड़क धड़क शब्दों
से ज्यादा पहचाना जाता है.



गीत के बोल:

तुझे देख देख सोना, तुझे देख कर है जगना
मैंने ये जिंदगानी, संग तेरे बितानी
तुझमें बसी है मेरी जान हाय
जिया धड़क धड़क, जिया धड़क धड़क,
जिया धड़क धड़क जाए

कबसे है दिल में मेरे, अरमां कई अनकहे
इनको तू सुन ले आजा, चाहत के रंग चढ़ा जा
कहना कभी तो मेरा मान हाय
जिया धड़क धड़क, जिया धड़क धड़क,
जिया धड़क धड़क जाए

लगता है ये क्यों मुझे, सदियों से चाहूँ तुझे
मेरे सपनो में आ के, अपना मुझको बना के
मुझपे तू कर एहसान हाय
जिया धड़क धड़क, जिया धड़क धड़क,
जिया धड़क धड़क जाए
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Tujhe dekh dekh sona-Kalyug 2005

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