ऐ मेरे उदास मन-मान अभिमान १९८०
में प्रमुख कलाकार हैं राजकिरण और रामेश्वरी. हिंदी फिल्म
जगत के कुछ हृष्ट पुष्ट अभिनेताओं में से एक राजकिरण ८०
के दशक में सक्रिय रहे.
गुमनाम सा कम जानी पहचानी फिल्मों में से अनमोल मोती
चुनने का काम करना आसान काम नहीं है. पड़ोस में स्वच्छंद
घूम रहे मोती साहब को देख के एक गीत याद आ गया. वो
कुछ बीमार से लग रहे थे आज.
ये एक पार्श्व में बजने वाला गीत है. ऐसे गीतों पर अभिनय
आसान काम नहीं होता. नायक गीत के कुछ हिस्सों में ऐसा
दिख रहा है जैसे वायरल फीवर से उठने के बाद कोई दिखाई
देता है.
गीत संगीत रवींद्र जैन का है जिन्होंने एक कर्णप्रिय गीत बनाया
है और इसमें काफी सारे वाद्य यंत्रों का प्रयोग भी किया है.
गीत के बोल:
ऐ मेरे उदास मन
चल दोनों कहीं दूर चले
मेरे हमदम तेरी मंज़िल
ये नहीं ये नहीं कोई और है
ऐ मेरे उदास मन
चल दोनों कहीं दूर चले
मेरे हमदम तेरी मंज़िल
ये नहीं ये नहीं कोई और है
इस बगिया का हर फूल
देता है चुभन काँटों की
सपने हो जाते हैं धूल
क्या बात करे सपनों की
मेरे साथी तेरी दुनिया
ये नहीं ये नहीं कोई और है
ऐ मेरे उदास मन
चल दोनों कहीं दूर चले
मेरे हमदम तेरी मंज़िल
ये नहीं ये नहीं कोई और है
जाने मुझ से हुई क्या भूल
जिसे भूल सका न कोई
पछतावे के आँसू
मेरे आँख भले ही रोये
ओ रे पगले तेरा अपना
ये नहीं ये नहीं कोई और है
ऐ मेरे उदास मन
चल दोनों कहीं दूर चले
मेरे हमदम तेरी मंज़िल
ये नहीं ये नहीं कोई और है
पत्थर भी कभी इक दिन
देखा है पिघल जाते हैं
बन जाते हैं शीतल नीर
झरनों में बदल जाते हैं
तेरी पीड़ा से जो पिघले
ये नहीं ये नहीं कोई और है
ऐ मेरे उदास मन
चल दोनों कहीं दूर चले
मेरे हमदम तेरी मंज़िल
ये नहीं ये नहीं कोई और है
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Ae mere udaas man-Maan abhimaan 1980
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