Jul 27, 2016

झील रखूँ कमल रखूँ-तीसरा किनारा १९८६

आज कुछ अजीब सा है वाकई. आज तीसरा शब्द से ४-५ फ़िल्में
याद आ गयी हैं. तीसरी मंजिल, तीसरी कसम, तीसरा कौन और
तीसरा किनारा.

आइये शाम का दूसरा गीत सुनें जिसे शब्बीर कुमार ने गाया है.
शब्बीर के गाये उम्दा गीतों में शुमार है ये. इसे गाने में हालंकि
शब्बीर को काफी मेहनत करनी पड़ी होगी. समीर ने गीत लिखा
है जिसकी धुन बनाई है श्याम सागर ने.

गीत की विशेषता है इसमें आपको बाप-बेटी दोनों नज़र आयेंगे –
जगदीश राज और अनीता राज. जगदीश राज गीत के दो अंतरे
के बाद दिखाई देते हैं उनके साथ पेंटल के दर्शन फ्री हैं गीत में.

अनीता राज अपनी समकालीन काफ़ी सारी अभिनेत्रियों से बेहतर
अभिनय कर लिया करती थीं. इस गीत में उनके एक्सप्रेशंस
कमाल के हैं. हर नायिका के कुछ विशेष गीत होते हैं जिसमें उनके
भाव एक्टिंग से बहुत ऊपर स्तर पर पहुँचते हैं. 




गीत के बोल:

झील रखूँ कमल रखूँ
झील रखूँ कमल रखूँ के जाम रखूँ
तेरी आँखों का क्या नाम रखूँ
झील रखूँ कमल रखूँ के जाम रखूँ
तेरी आँखों का क्या नाम रखूँ

सावन आह भरे घटा झुक जाये
धूप छुप जाये कहीं छाँव रुक जाये
सावन आह भरे घटा झुक जाये
धूप छुप जाये कहीं छाँव रुक जाये
घटा रखूँ छाँव रखूँ
हो हो घटा रखूँ छाँव रखूँ कि शाम रखूँ
तेरी ज़ुल्फ़ों का क्या नाम रखूँ

झील रखूँ कमल रखूँ के जाम रखूँ
तेरी आँखों का क्या नाम रखूँ

सुर्ख होंठों पे हँसी ऐसे खिल जाये
भोर की पहली किरण जैसे मुस्काये
सुर्ख होंठों पे हँसी ऐसे खिल जाये
भोर की पहली किरण जैसे मुस्काये
कली रखूँ किरण रखूँ
हो हो कली रखूँ किरण रखूँ गुल्फ़ाम रखूँ
तेरे होंठों का क्या नाम रखूँ

झील रखूँ कमल रखूँ के जाम रखूँ
तेरी आँखों का क्या नाम रखूँ
झील रखूँ कमल रखूँ के जाम रखूँ
तेरी आँखों का क्या नाम रखूँ
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Jheel rakhoon-Teesra kinara 1986

Artists: Raj Babbar, Anita Raj

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