कहीं करती होगी-फिर कब मिलोगी १९७४
पर भी चढ जाता है. फिल्म का नायक बर्फ में इधर उधर डोलते
हुए मधुर गीत गा रहा है, बिना हांफे, बिना थके. वो इतनी गति
के साथ सब काम कर रहा है कि उसे शीघ्र ही सूनसान पहाड़
पर अपना ठिकाना या मकान भी मिल जाता है. २ मिनट गा लेने
के बाद नायिका भी दिखाई दे जाती है. ३ मिनट में कितना कुछ
हो जाता है फ़िल्मी गीत में.
काश हमारी सरकारी योजनाओं की गति भी फ़िल्मी गीतों जैसी
हो जाए.
प्रस्तुत गीत है फिल्म फिर कब मिलोगी से. फिल्म में विश्वजीत
और माला सिन्हा प्रमुख कलाकार हैं. जो गीत आप सुनेंगे आज
वो मुकेश ने गाया, मजरूह ने इसे लिखा और पंचम की धुन है.
गीत के बोल:
कहीं करती होगी
वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में
फिरता हूँ बेक़रार
कहीं करती होगी
वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में
फिरता हूँ बेक़रार
कहीं बैठी होगी राहों में
गुम अपनी ही बाहों में
लिये खोई सी निगाहों में
खोया खोया सा प्यार
छाया रुकी होगी आँचल की
चुप होगी धुन पायल की
होगी पलकों में काजल की
खोई खोई बहार
कहीं करती होगी
वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में
फिरता हूँ बेक़रार
दूर ज़ुल्फ़ों की छांव से
कहता हूँ ये हवाओं से
उसी बुत की अदाओं के
अफ़साने हज़ार
वो जो बाहों में मचल जाती
हसरत ही निकल जाती
मेरी दुनिया बदल जाती
मिल जाता क़रारा
कहीं करती होगी
वो मेरा इंतज़ार
जिसकी तमन्ना में
फिरता हूँ बेक़रार
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Kahin karti hogi-Phir kab milogi 1974
Artists-Biswajeet, Mala Sinha
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