बहारें फिर भी आएँगी-लाहौर १९४९
सबसे लोकप्रिय गीत. आपको बीच बीच में हम लोकप्रिय
गीत भी सुनवाते रहते हैं. केवल लोकप्रिय गीत ही सुनवा
दें तो कई छुपे रत्न, नायाब मोती और अचार, जैम वगैरह
अनसुने रह जाते हैं.
प्रस्तुत गीत भी पिछले गीत की तरह राजेंद्र कृष्ण ने लिखा
है और संगीतकार भी वही हैं-श्याम सुन्दर. अभिनेत्री नर्गिस
पर फिल्माए गए लता के गीत कुछ विशेष हैं. लगभग सारे
संगीत निर्देशकों ने ऐसे कोम्बिनेशन वाले गीत बेहतर बनाये.
प्रस्तुत गीत में एक अन्तरा दो बार गाया जा रहा है इसकी
वजह आपको मालूम हो तो बतलायें.
गीत के बोल:
नज़र से दूर जानेवाले दिल से दूर न करना
मेरी आँखों को रोने पर कहीं मजबूर न करना
बहारें फिर भी आयेंगी मगर हम तुम जुदा होंगे
घटाएं फिर भी चायेंगी मगर हम तुम जुदा होंगे
बहारें
जहाँ छुप छुप के हम मिलते
जहाँ छुप छुप के हम मिलते थे साजन
वो गली हमको इशारों से बुलायेगी
मगर हम तुम जुदा होंगे
बहारें फिर भी आयेंगी मगर हम तुम जुदा होंगे
बहारें
सन्देसा प्यार का लायेंगी सावन की जवाँ रातें
पवन झूमेगी गायेगी मगर हम तुम जुदा होंगे
बहारें फिर भी आयेंगी मगर हम तुम जुदा होंगे
बहारें
जहाँ छुप छुप के हम मिलते थे साजन
वो गली हमको इशारों से बुलायेगी
मगर हम तुम जुदा होंगे
बहारें फिर भी आयेंगी मगर हम तुम जुदा होंगे
बहारें
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Baharen phir bhi aayengi-Lahore 1949
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