Jul 26, 2016

तुझ संग लगी-स्पेशल २६ २०१३

शब्दों के और बोलों के अर्थ समझना कभी कभी टेढ़ी खीर
या आडा हलवा साबित होता है. इस गीत की दो तीन पंक्तियाँ
अगर सरसरी तौर पर सुनेंगे तो समझ नहीं आएगा क्या लगी
कौन लगी, किसको लगी, क्यूँ लगी और कैसे लगी.

हम मान लेते हैं लगी को दिल्लगी, लगन लगी इत्यादि के
संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया गया है. गीत इरशाद कामिल का
है. इसे दर्शनवादी गीत कहा जाए या रोमांटिक?

गीत गा रहे हैं के के के संग संगीतकार एम् एम् क्रीम. फिल्म
स्पेशल २६ से लिया गया है आपको सुनाने के लिए.



गीत के बोल:

रब रूठे या जग छूटे
जां रूठे या ज़हन ये छूटे
यार मेरे ऐतबार मेरे
पर तुझ संग लगी
तुझ संग लगी
लगी  ना छूटे
तुझ संग लगी

मांग लिया है सब कुछ मैंने
मांग लिया है जब तुझको
प्यार वफ़ा का काशी काबा
मान लिया है अब तुझको
ये भी पता है सच तू ही है
लोग हैं सारे बस झूठे
यार मेरे ऐतबार मेरे

ख़ाक बना दे अब तू चाहे
पाक बना दे चाहे तू
उफ़ ना करूँगा भूले से भी
अब मैं हवाले तेरे हूँ
हो ईद सा होगा वो पल जब तू
प्यार से मेरा सब लुटे
यार मेरे ऐतबार मेरे
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Tujh sang lagi-Special 26

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