उल्फ़त का साज़ छेड़ो-औरत १९५३
गाये एक से बढ़ कर एक गीत हैं. वर्मा फिल्म्स के लिए
कोई बी वर्मा साहब ने इसका निर्देशन किया था.
वर्मा फिल्म्स ने पहले जो दो फ़िल्में बनायीं थीं वे थीं पतंगा
और सगाई जिनका निर्देशन हरनाम सिंह रवैल ने किया था.
बी वर्मा के निर्देशन के बाद शायद इस संस्था ने कोई और
फिल्म का निर्माण नहीं किया. रवैल के निर्देशन वाली फिल्मों
में सी रामचंद्र का संगीत था.
प्रस्तुत गीत हसरत जयपुरी का लिखा हुआ है जिसकी धुन
बनाई है शंकर जयकिशन ने. लता मंगेशकर गायिका हैं.
मुस्कुराते हुए गीत कैसे गाया जाता है ये फिल्म की नायिका
से सीखा जा सकता है.
गीत के बोल:
उल्फ़त का साज़ छेड़ो समा सुहाना है
उल्फ़त का साज़ छेड़ो समा सुहाना है
जलवे भी नाच उठे दिल का तराना है
उल्फ़त का साज़ छेड़ो समा सुहाना है
जलवे भी नाच उठे दिल का तराना है
उल्फ़त का साज़ छेड़ो
दर पे हुज़ूर आये ले के मुराद हम भी
इतनी सी आरज़ू है रह जायें याद हम भी
दर पे हुज़ूर आये ले के मुराद हम भी
इतनी सी आरज़ू है रह जायें याद हम भी
उल्फ़त का साज़ छेड़ो समा सुहाना है
जलवे भी नाच उठे दिल का तराना है
उल्फ़त का साज़ छेड़ो समा सुहाना है
जलवे भी नाच उठे दिल का तराना है
उल्फ़त का साज़ छेड़ो
दोनो जहाँ हम भी तुम पर निसार करें
क़दमों पे चाँद तारे सजदे हज़ार करें
दोनो जहाँ हम भी तुम पर निसार करें
क़दमों पे चाँद तारे सजदे हज़ार करें
उल्फ़त का साज़ छेड़ो समा सुहाना है
जलवे भी नाच उठे दिल का तराना है
उल्फ़त का साज़ छेड़ो समा सुहाना है
जलवे भी नाच उठे दिल का तराना है
उल्फ़त का साज़ छेड़ो
महफ़िल में आज शमा कर देगी नाम रौशन
थामेगा आज कोई दिल का हसीन दामन
महफ़िल में आज शमा कर देगी नाम रौशन
थामेगा आज कोई दिल का हसीन दामन
उल्फ़त का साज़ छेड़ो समा सुहाना है
जलवे भी नाच उठे दिल का तराना है
उल्फ़त का साज़ छेड़ो समा सुहाना है
जलवे भी नाच उठे दिल का तराना है
उल्फ़त का साज़ छेड़ो
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Ulfat ka saaz chhedo-Aurat 1953
Artist: Beena Rai, Ulhas
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