Jul 24, 2016

पैगाम दे रही है-अनमोल १९९३

राम लक्ष्मण के जादू का गुबार उठाना शुरू हुआ था फिल्म
मैंने प्यार किया से जो धीरे धीरे उतरना शुरू हुआ. फिल्म
अनमोल तक तो धुनें और गाने वालों की आवाजें बढ़िया
हैं. फिल्म चली नहीं लेकिन इसके कुछ गीत कुछ समय
तक के लिए बजे. अनमोल फिल्म का कथानक अच्छा होने
के बावजूद फिल्म नहीं चली. 

फिल्म से एक संदेशात्मक गीत पेश है. ऐसे गीत कभी कभी
फिल्मकार शामिल कर लिया करते हैं अपनी फिल्मों में
जिसके लिए उन्हें धन्यवाद दिया जाना चाहिए.

गीत देव कोहली ने लिखा है जिसे उदित नारायण गा रहे
हैं परदे पर. ऋषि कपूर के लिए सत्तर के दशक तक तो
रफ़ी की आवाज़ उपलब्ध थी, ८० के दशक में शब्बीर/
अज़ीज़ ने उनके लिए गाया और ९० के दशक में उदित
गाते नज़र आये. वैसे ही जो काम किशोर ने किया १९८७
तक वो बाद में कुमार सानू के हिस्से आ गया.





गीत के बोल:

पैगाम दे रही है ये शाम ढलते ढलते
बनती है ज़िंदगी में हर बात बनते बनते
पैगाम दे रही है ये शाम ढलते ढलते
बनती है ज़िंदगी में हर बात बनते बनते

हमसफ़र के बिना तो मज़ा आये न
हमसफ़र के बिना तो मज़ा आये न
ज़िंदगी में अकेला रहा जाये ना
कोई हमें मिलेगा ऐसे ही चलते चलते
बनती है ज़िंदगी में हर बात बनते बनते

पैगाम दे रही है ये शाम ढलते ढलते
बनती है ज़िंदगी में हर बात बनते बनते

साज़-ए-दिल छेड़ दे मुस्कुराकर कोई
साज़-ए-दिल छेड़ दे मुस्कुराकर कोई
देख ले हमको नज़रें उठा कर कोई
हम खाक हो ना जाएं यूँ आह भरते भरते
बनती है ज़िंदगी में हर बात बनते बनते

पैगाम दे रही है ये शाम ढलते ढलते
बनती है ज़िंदगी में हर बात बनते बनते
..............................................................
Paigaam de rahi hai-Anmol 1993

Artists: Rishi Kapoor, Manish Koirala

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP