अजब है दास्तान तेरी ऐ जिंदगी-शरारत १९५९
काफी जगह और चैनलों पर उनकी याद में गीत सुने होंगे.
आइये एक और सुन लेते हैं. ये है फिल्म शरारत से जिसका
संगीत तैयार किया है शंकर जयकिशन ने. एस एच रवैल
इसके निर्देशक हैं जो आज के प्रसिद्ध निर्देशक राहुल रवैल के
पिता हैं.
काफी कंट्रास्ट है फिल्म के नाम और इस गीत के मूड में.
गीत भी रोचक है क्यूंकि इसे परदे पर किशोर कुमार गा रहे
हैं और पार्श्व गायन किया है मोहम्मद रफ़ी ने.
गीत और फिल्म के बारे में तरह तरह के किस्से हैं और हम
उन्हीं पर आधारित अपनी पोस्ट बनाते हैं. ये संभव नहीं
होता कि कोई बात शत प्रतिशत सत्य हो क्यूंकि वास्तविकता
का अत-पता केवल उस फिल्म से जुड़े लोगों को ही होता है.
एक किस्सा यूँ है इस गीत की रिहर्सल में किशोर को कुछ
कठिनाई हुई तो संगीतकार ने रफ़ी को याद किया. वैसे भी
शंकर जयकिशन के अधिकाँश गीत रफ़ी द्वारा ही गाये हुए
हैं, सत्तर के दशक के पूर्व.
दूसरा किस्सा कुछ यूँ है इस फिल्म के लिए मुख्य नायक
पहले किसी और को चुना गया था, किशोर कुमार बाद में
दृश्य में आये. तब तक फिल्म के कुछ गीत रिकोर्ड किये
जा चुके थे. ऐसे फेरबदल होते रहे हैं फिल्मों में इसलिए इस
थ्योरी से भी इनकार नहीं किया जा सकता.
जो भी हुआ हो, एक बात अच्छी हुई कि हमें एक उम्दा दर्द
भरा गीत सुनने को मिला. शैलेन्द्र ने इस गीत को लिखा है.
गीत के बोल:
अजब है दास्तां तेरी ऐ जिंदगी
अजब है दास्तां तेरी ऐ जिंदगी
कभी हंसा दिया रुला दिया कभी
अजब है दास्तां तेरी ऐ जिंदगी
कभी हंसा दिया रुला दिया कभी
अजब है दास्तां तेरी ऐ जिंदगी
कलि खिले पायी थी के
शाख ही उजाड गयी
अभी जरा से ही थे हम
हमसे प्यारी माँ बिछड गयी
ओ आसमान बता
ओ आसमान बता किया हमने था क्या
जो मिली ये सजा
जो मिली ये सजा
लड़कपन में ही ये दुनिया लुटी
अजब है दास्तां तेरी ऐ जिंदगी
कभी हंसा दिया रुला दिया कभी
अजब है दास्तां तेरी ऐ जिंदगी
तुम आई माँ की ममता लिए
तो मुस्कुराये हम
के जैसे फिर से अपने बचपन में
लौट आये हम
तुम्हारे प्यार के
तुम्हारे प्यार के इसी आँचल तले
फिर से दीपक जले
फिर से दीपक जले
ढला अँधेरा जगी रौशनी
अजब है दास्तां तेरी ऐ जिंदगी
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Ajab hai dastaan teri ae zindagi-Shararat 1959
Artists: Kishore Kumar, Meena Kumari
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