चाँद सी महबूबा हो मेरी-हिमालय की गोद में १९६५
कल्पना में उभरता है. चाँद फिजिकली चमकदार और धब्बे वाला
एक ग्रह है जिसके बारे में कवियों ने भी कहा है-चाँद में भी दाग
है. चाँद की तारीफ करते समय ये सब ब्यूटी स्पॉट में बदल जाते
हैं. किसी को खरगोश की आकृति नज़र आती है चाँद पर तो किसी
को बुढिया के चरखा कातने की.
कल्पना और गीतों की दुनिया में फिजिकल ये ज्यादा लोजिकल
चीज़ें मिला करती हैं. लोजिकल से ज्यादा हाइपोथेटिकल मिलती हैं.
चाँद आकार में गोल है तो कवियों ने गोल गोल बातें करके उसे
और गोल बना दिया. अब हीरोईन का चेहरा भी गोल हो तो फिर
क्या कहने. गौरतलब है यहाँ हीरोईन के चेहरे का आकार ओवल है
ना कि गोल. यहाँ कवि का तात्पर्य केवल खूबसूरती के पैमाने से
है.
गीत सुनते हैं इन्दीवर का लिखा हुआ जिसे मुकेश ने गाया है और
ये एक बेहद लोकप्रिय रोमांटिक गीत है. कल्याणजी आनंदजी इसके
संगीतकार हैं. नायक नायिका का नाम लिख रहा है कोड लैंग्वेज में
एक पत्थर पर जिसे आप समझ ही गए होंगे. अब आप ये मत
पूछ बैठिएगा कि मास्टरजी स्कूल की क्लास से चाक लेकर नदी तट
पर मछलियाँ पकड़ने गए थे क्या ?
गीत के बोल:
चाँद सी महबूबा हो मेरी कब
ऐसा मैंने सोचा था
हाँ तुम बिलकुल वैसी हो
जैसा मैंने सोचा था
चाँद सी महबूबा हो मेरी कब
ऐसा मैंने सोचा था
हाँ तुम बिलकुल वैसी हो
जैसा मैंने सोचा था
ना रस्में हैं ना कसमें हैं
ना शिकवे हैं ना वादे हैं
इक सूरत भोली भाली है
दो नैना सीधे सादे हैं
ना रस्में हैं ना कसमें हैं
ना शिकवे हैं ना वादे हैं
इक सूरत भोली भाली है
दो नैना सीधे सादे हैं
दो नैना सीधे सादे हैं
ऐसा ही रूप खयालों में था
जैसा मैंने सोचा था
हाँ तुम बिलकुल वैसी हो
जैसा मैंने सोचा था
मेरी खुशियाँ ही ना बाँटे
मेरे ग़म भी सहना चाहे
मेरी खुशियाँ ही ना बाँटे
मेरे ग़म भी सहना चाहे
देखे ना ख्वाब वो महलों के
मेरे दिल में रहना चाहे
मेरे दिल में रहना चाहे
इस दुनिया में कौन था ऐसा
जैसा मैंने सोचा था
हाँ तुम बिलकुल वैसी हो
जैसा मैंने सोचा था
चाँद सी महबूबा हो मेरी कब
ऐसा मैंने सोचा था
हाँ तुम बिलकुल वैसी हो
जैसा मैंने सोचा था
हाँ तुम बिलकुल वैसी हो
जैसा मैंने सोचा था
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Chand si mehbooba ho meri-Himalay ki god mein 1965
Artists: Manoj Kumar, Mala Sinha
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