नसीब में जिसके जो-दो बदन १९६६
में. फिल्म की कहानी दो ऐसे प्रेमियों की है जो एक साथ दम
तोड़ देते हैं आखिर में.
मनोज कुमार और आशा पारेख प्रमुख कलाकार हैं. कहानी में
जो विलन है उसका किरदार निभाने वाले कलाकार हैं प्राण.
मनमोहन कृष्ण मरहम लगाने वाले बुजुर्ग के रोल में हैं फिल्म
में.
संगीतकार रवि ने सबसे ज्यादा काम साहिर और शकील के साथ
किया. फिल्म चौदहवीं का चाँद और दो बदन दो ऐसी फ़िल्में हैं
जिनके गीत काफी लोकप्रिय हैं आज भी. दोनों फिल्मों के गीत
शकील बदायूनीं ने लिखे हैं.
गीत के बोल:
नसीब में जिसके जो लिखा था
वो तेरी महफ़िल में काम आया
नसीब में जिसके जो लिखा था
वो तेरी महफ़िल में काम आया
किसी के हिस्से में प्यास आई
किसी के हिस्से में जाम आया
नसीब में जिसके जो लिखा था
मैं इक फ़साना हूँ बेकसी का
ये हाल है मेरी ज़िंदगी का
मैं इक फ़साना हूँ बेकसी का
ये हाल है मेरी ज़िंदगी का
ये हाल है मेरी ज़िंदगी का
न हुस्न ही मुझको रास आया
न इश्क़ ही मेरे काम आया
नसीब में जिसके जो लिखा था
बदल गईं तेरी मंज़िलें भी
बिछड़ गया मैं भी कारवां से
बदल गईं तेरी मंज़िलें भी
बिछड़ गया मैं भी कारवां से
बिछड़ गया मैं भी कारवां से
तेरी मुहब्बत के रास्ते में
न जाने ये क्या मकाम आया
नसीब में जिसके जो लिखा था
तुझे भुलाने की कोशिशें भी
तमाम नाकाम हो गई हैं
तुझे भुलाने की कोशिशें भी
तमाम नाकाम हो गई हैं
तमाम नाकाम हो गई हैं
किसी ने ज़िक्र-ए-वफ़ा किया जब
ज़ुबाँ पे तेरा ही नाम आया
नसीब में जिसके जो लिखा था
वो तेरी महफ़िल में काम आया
किसी के हिस्से में प्यास आई
किसी के हिस्से में जाम आया
नसीब में जिसके जो लिखा था
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Naseeb mein jiske jo-Do Badan 1966
Artists:Manoj Kumar, Asha Parekh
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