फैली है खबर-मान १९५४
से लाता का एक गीत काफी प्रसिद्ध है फिल्म घर नंबर ४४ का.
एक और गीत है लता का गाया हुआ जिसके मुखड़े में फैली
शब्द आता है. ये है सन १९५४ की फिल्म मान का. एक शायद
७० के दशक में भी कोई गीत है, कुछ यूँ है-फ़ैल जा, फ़ैल गई,
सिकुड जा, सिकुड गई.
इस गीत की रचना कैफ भोपाली ने की है और संगीत तैयार किया
अनिल बिश्वास ने. काले पीले युग के संगीत प्रेमियों का भी ध्यान
रखना होता है हमें और इस चक्कर में युवा पीढ़ी का धूमचक संगीत
नहीं सुनवा पा रहे हैं हम काफी दिन से. कोई बात नहीं फिर सुन
लेंगे उसे वो तो आजकल बज ही रहा है हेल्थ क्लब से लगा कर
भैंसों के तबेलों में सभी जगह पर.
गीत के बोल:
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
फैली है खबर
फैली है खबर आज ये फूलों की जुबानी
आई है जवानी सखी आई है जवानी
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
फैली है खबर
फैली है खबर आज ये फूलों की जुबानी
आई है जवानी सखी आई है जवानी
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
फैली है खबर
मालूम नहीं किसकी ये धुन आठ पहर है
मालूम नहीं
मालूम नहीं किसकी ये धुन आठ पहर है
आहट पे नज़र है
आहट पे नज़र है हरे कागज़ पे नज़र है
आहट पे नज़र है हरे कागज़ पे नज़र है
दिल भी है दीवाना मेरी आँखें भी दीवानी
दिल भी है दीवाना मेरी आँखें भी दीवानी
मेरी आँखें भी दीवानी
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
फैली है खबर
फैली है खबर आज ये फूलों की जुबानी
आई है जवानी सखी आई है जवानी
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
फैली है खबर
मिलते ही नज़र उनसे मेरे
मेरे दिल का धडकना
ओ मेरे दिल का धडकना
आँखों का झपकना
मेरी आँखों का झपकना
मालूम ना हो जाए किसी को ये कहानी
किसी को ये कहानी ओ किसी को ये कहानी
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
फैली है खबर
फैली है खबर आज ये फूलों की जुबानी
आई है जवानी सखी आई है जवानी
ओ ओ ओ ओ ओ ओ
फैली है खबर
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Phaili hai khabar-Maan 1954
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