रुक जा ओ जाने वाली रुक जा-कन्हैया १९५९
का गाया ये गीत अन्ताक्षरी कार्यक्रमों का पसंदीदा गीत रहा है
सालों से. अन्ताक्षरी में सबसे पहले वही गीत याद आते हैं जो
लोकप्रियता के शिखर पर होते हैं.
राज कपूर और नूतन पर इसे फिल्माया गया है. अपने ज़माने का
टपोरी गीत है ये. मनचलों के बीच ये गीत काफी लोकप्रिय रहा है.
ठरकी नायक शराब की बोतल लेकर इतना सधा हुआ गीत गा
रहा है कि होश वाले भी शरमा जाएँ.
प्रस्तुत गीत शैलेन्द्र ने लिखा है और इसकी धुन शंकर जयकिशन
ने बनाई है. इसमें ढोलक का सुन्दर प्रयोग हुआ है और गीत के
अंत में मैंडोलिन पर इसी की धुन से समापन होता है.
गीत के बोल:
रुक जा ओ जाने वाली रुक जा
मैं तो राही तेरी मंज़िल का
नज़रों में तेरी मैं बुरा सही
आदमी बुरा नहीं मैं दिल का
आदमी बुरा नहीं मैं दिल का
देखा ही नहीं तुझको
सूरत भी न पहचानी
तू आ के चली छम से
यूँ डूब के दिन पानी
देखा ही नहीं तुझको
सूरत भी न पहचानी
तू आ के चली छम से
यूँ डूब के दिन पानी
रुक जा
रुक जा ओ जाने वाली रुक जा
मैं तो राही तेरी मंज़िल का
नज़रों में तेरी मैं बुरा सही
आदमी बुरा नहीं मैं दिल का
आदमी बुरा नहीं मैं दिल का
मुद्दत से मेरे दिल के
सपनों की तू रानी है
अब तक न मिले लेकिन
पहचान पुरानी है
मुद्दत से मेरे दिल के
सपनों की तू रानी है
अब तक न मिले लेकिन
पहचान पुरानी है
रुक जा
रुक जा ओ जाने वाली रुक जा
मैं तो राही तेरी मंज़िल का
नज़रों में तेरी मैं बुरा सही
आदमी बुरा नहीं मैं दिल का
आदमी बुरा नहीं मैं दिल का
आ प्यार की राहों में
बाहों का सहारा ले
दुनिया जिसे गाती है
उस गीत को दोहरा ले
आ प्यार की राहों में
बाहों का सहारा ले
दुनिया जिसे गाती है
उस गीत को दोहरा ले
रुक जा
रुक जा ओ जाने वाली रुक जा
मैं तो राही तेरी मंज़िल का
नज़रों में तेरी मैं बुरा सही
आदमी बुरा नहीं मैं दिल का
आदमी बुरा नहीं मैं दिल का
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Ruk ja o jaane wali-Kanhaiya 1959
Artists: Raj Kapoor, Nutan
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