हमने सीखा प्यार में-गेस्ट हाउस १९५९
फिल्म गेस्ट हाउस से. सन १९५९ की फिल्म गेस्ट हाउस
में अजीत और शकीला मुख्य कलाकार हैं. गोल्डन मूवीज़
के लिए फिल्म का निर्देशन रवींद्र दवे ने किया था. बैनर
के लिये इसका निर्माण मुल्कराज भाखरी ने किया था.
गोल्डन ने दरबार, खुल जा सिम सिम, अलाउद्दीन लैला,
नाग पद्मिनी, सिम सिम मरजीना, टैक्सी ५५५, चाबुकवाली
जैसी और भी गोल्डन फ़िल्में बनाईं
गीत के बोल:
हमने सीखा प्यार में
दो नैनों की मार में
मिलने में वो मज़ा कहाँ है
जो है इंतज़ार में
हमने सीखा प्यार में
दो नैनों की मार में
मिलने में वो मज़ा कहाँ है
जो है इंतज़ार में
दिल तो ये कहता है कि आने वाला आयेगा
दिल तो ये कहता है कि आने वाला आयेगा
आँखें ये कहती हैं ए दिल तू धोखा खायेगा
ऐसा ही चलता है
ऐसा ही चलता है दोनो की तक़रार में
हमने सीखा प्यार में
दो नैनों की मार में
मिलने में वो मज़ा कहाँ है
जो है इंतज़ार में
रस्ता तकने वाले तू क्यों बैठा मजबूर है
रस्ता तकने वाले तू क्यों बैठा मजबूर है
भूल जाना वादा ये दुनिया क दस्तूर है
लाखों ही खोये हैं
लाखों ही खोये हैं झूठे ऐतबार में
हमने सीखा प्यार में
दो नैनों की मार में
मिलने में वो मज़ा कहाँ है
जो है इंतज़ार में
यही बेकरारी तो दिल का करार है
यही बेकरारी तो दिल का करार है
देखि न खिज़ा तो भीगी ही बहार है
हलचल सी रहने दे
हलचल सी रहने दे दिल-ए-बेक़रार में
हमने सीखा प्यार में
दो नैनों की मार में
मिलने में वो मज़ा कहाँ है
जो है इंतज़ार में
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Hamne seekha pyar mein-Guest House 1959
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