तुम मेरी ज़िंदगी में तूफ़ान-शगूफा १९५३
सुनते हैं चितलकर और लाता मंगेशकर का गाया हुआ. इस
गीत में सी रामचंद्र ने केवल एक शेर कहा है शुरू में बाकी
का गाना केवल लता मंगेशकर ने गाया है. इस गीत को
लिखा है राजेंद्र कृष्ण ने.
हिंदी फिल्म जगत में कई ऐसे नायक नायिका हैं जिन्होंने
शादी कर ली. शादी के बाद भी फिल्मों में काम किया कईयों
ने. उनके ऊपर फिल्माए गए गीतों के लिए कभी मुझे लगता
है एक श्रेणी और होनी चाहिए-मियां-बीबी हिट्स. श्रेणी बनाने
के शौक़ीन सुन रहे हैं ना ?
गीत के बोल:
ये दर्द ज़िंदगी का कब तक कोई सम्भाले
माझी ये नाव कर दे तूफ़ान के हवाले
तूफ़ान में घिरा है बेकस का आशियाना
दो दिल बिछड़ रहे हैं ओ आसमान वाले
तुम मेरी ज़िंदगी में तूफ़ान बन के आये
छोटे से एक दिल में अरमान बन के आये
अरमान बन के आये
तुम मेरी ज़िंदगी में तूफ़ान बन के आये
छोटे से एक दिल में अरमान बन के आये
अरमान बन के आये
बुझते हुए दिये की धीरे से लौ बढ़ा दी
बुझते हुए दिये की धीरे से लौ बढ़ा दी
बेजान ज़िंदगी में यूँ जान बन के आये
बेजान ज़िंदगी में यूँ जान बन के आये
छोटे से एक दिल में अरमान बन के आये
अरमान बन के आये
तुम मेरी ज़िंदगी में तूफ़ान बन के आये
छोटे से एक दिल में अरमान बन के आये
अरमान बन के आये
मजबूर दिल को कितनी मुद्दत से आरज़ू थी
मजबूर दिल को कितनी मुद्दत से आरज़ू थी
वीरान घर में कोई महमान बन के आये
वीरान घर में कोई महमान बन के आये
छोटे से एक दिल में अरमान बन के आये
अरमान बन के आये
.....................................................................
Tum meri zindagi mein-Shagoofa 1953
0 comments:
Post a Comment