जा रे जा रे उड़ जा रे पंछी-माया १९६१
सुनते हैं फिल्म माया से. पक्षी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा
होते हैं. भोर के समय पक्षियों की चहचहाहट से मन प्रसन्न हो
जाता है. नेचुरल अलार्म है जिसकी आवाज़ से शायद ही किसी
का मन खिन्न होता हो. पक्षियों की आवाज़ में ईश्वरीय रूप से
आकर्षण और माधुर्य होता है.
कवियों ने पक्षी और पक्षियों के प्रसंगों पर कई गीत लिखे हैं
मसलन तोता-मैना और बुलबुल के ऊपर तो खूब गीत मिलेंगे
आपको. गीत लता का एक बेहद प्रचलित गीत है जिसके बोल
और धुन दोनों बढ़िया है. गीत दुःख भरा है.
गीत के बोल:
जा रे जा रे उड़ जा रे पंछी
बहारों के देश जा रे
यहाँ क्या है तेरे प्यारे
क्यूँ उजड गयी बगिया मेरे मन की
जा रे जा रे उड़ जा रे पंछी
बहारों के देश जा रे
यहाँ क्या है तेरे प्यारे
क्यूँ उजड गयी बगिया मेरे मन की
जा रे
न डाली रही न कली
अजब गम की आंधी चली
उडी दुःख की धूल राहों में
न डाली रही न कली
अजब गम की आंधी चली
उडी दुःख की धूल राहों में
जा रे ये गली है बिरहन की
बहारों के देश जा रे
यहाँ क्या है तेरे प्यारे
क्यूँ उजड गयी बगिया मेरे मन की
जा रे
मैं वीणा उठा ना सकी
तेरे संग गा न सकी
ढले मेरे गीत आहों में
मैं वीणा उठा ना सकी
तेरे संग गा न सकी
ढले मेरे गीत आहों में
जा रे ये गली है असुवन की
बहारों के देश जा रे
यहाँ क्या है तेरे प्यारे
क्यूँ उजड गयी बगिया मेरे मन की
जा रे जा रे उड़ जा रे पंछी
बहारों के देश जा रे
यहाँ क्या है तेरे प्यारे
क्यूँ उजड गयी बगिया मेरे मन की
जा रे
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Ja re ja re ud ja re panchhi-Maya 1961
Artist: Mala Sinha
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