झूमे रे कली भंवरा उलझ गया-नौकरी १९५४
है. आज ऐसा ही एक गीत सुनते हैं जो उनके लिए ही बना है
और उनके अलावा आप इसे किसी की आवाज़ में सुन लें आनंद
नहीं आएगा.
जो नेचुरल एनर्जी लेवल गीता के गायन में है वो दूसरी गायिकाओं
के गीतों में कठिन प्रयास से आ पाता था. फिल्म के निर्माता और
निर्देशक बिमल रॉय हैं और फिल्म के संगीत में कसावट को आप
महसूस कर सकते हैं.
गीत में सभी कुछ उम्दा है-शैलेन्द्र के बोल हैं और सलिल चौधरी
की आकर्षक धुन. शीला रमानी नामक अभिनेत्री पर इसे फिल्माया
गया है.
गीत के बोल:
झूमे रे कली भंवरा उलझ गया काँटों में
झूमे रे कली भंवरा उलझ गया काँटों में
बन बन ढूंढें पवन शराबी
बन बन ढूंढें पवन शराबी
गगन कहे
गगन कहे चुपके से फूल खिला काँटों में
झूमे रे कली भंवरा उलझ गया काँटों में
संज सवेरे दिल को घेरे
कौन मुझपे जादू फेरे
सब समझावे प्रीत बुरी है
सब समझावे प्रीत बुरी है
लगन कहे
लगन कहे जीवन का चैन छुपा काँटों में
झूमे रे कली भंवरा उलझ गया काँटों में
मन में आ के चैन चुरा के
जो छुप जाए नींद उड़ा के
मन में आ के चैन चुरा के
जो छुप जाए नींद उड़ा के
जब मैं उनका नाम पुकारूँ
जब मैं उनका नाम पुकारूँ
नज़र कहे
नज़र कहे आँचल से पूछ पता काँटों में
झूमे रे कली भंवरा उलझ गया काँटों में
बन बन ढूंढें पवन शराबी
बन बन ढूंढें पवन शराबी
गगन कहे
गगन कहे चुपके से फूल खिला काँटों में
झूमे रे कली भंवरा उलझ गया काँटों में
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Jhoome re kali bhanwra ulajh gaya-Naukri 1954
Artist: Sheila Ramani
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