जो बात तुझमें है-ताजमहल १९६३
बनायीं रफ़ी के लिए. गायक अपने कम्फर्टेबल स्केल पर
गाये तो गायक को भी आनंद और सुनने वालों को भी.
ये बात कई संगीतकार समझ पाते हैं और कई नहीं.
पहले के गायकों का गला २५-३० साल सर्विस दे दिया
करता था मगर आजकल के गायकों का १५ साल चल
जाए तो बहुत है. वजह है गला फाड के ऊंचे से ऊंचे स्केल
पर गाना. ये गवाने वालों की वजह से है जिन्हें गायक
को उसकी रेंज के बाहर के गीत देने का शौक हो चला
है. सुनने वालों को भी उसमें ही मजा आने लगा है. इस
बात में कुछ तथ्य शायद आपको भी महसूस हो अगर
आप पुराने गीतों के शौक़ीन हैं और आज के गीत भी
कभी कभार सुन लिया करते हों.
सुनते हैं रफ़ी का गाया एक मधुरता से परिपूर्ण एक गीत
साहिर ने इसे तबियत से लिखा है और रोशन ने भी
उतनी ही तबियत से इसकी धुन बनाई. वैसे तो फिल्म
ताजमहल के सभी गीत लोकप्रिय हैं मगर ये कुछ खास
है. गीत में तबला भी झूम झूम के बजा है.
गीत के बोल:
जो बात तुझमें है तेरी तस्वीर में नहीं
तस्वीर में नहीं
जो बात तुझमें है
रंगों में तेरा अक्स ढला तू न ढल सकी
सांसों की आंच जिस्म की ख़ुशबू न ढल सकी
तुझमें
तुझमें जो लोच है मेंरी तहरीर में नहीं
तहरीर में नहीं
जो बात तुझमें है तेरी तस्वीर में नहीं
तस्वीर में नहीं
बेजान हुस्न में कहाँ रफ़्तार की अदा
इनकार की अदा है न इक़रार की अदा
कोई
कोई लचक भी ज़ुल्फ़-ए-गिरहगीर में नहीं
गिरहगीर में नहीं
जो बात तुझमें है तेरी तस्वीर में नहीं
तस्वीर में नहीं
दुनिया में कोई चीज़ नहीं है तेरी तरह
फिर एक बार सामने आ जा किसी तरह
क्या और
क्या और एक झलक मेरी तक़दीर में नहीं
तक़दीर में नहीं
जो बात तुझमें है तेरी तस्वीर में नहीं
तस्वीर में नहीं
जो बात तुझमें है
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Jo baat tujh mein hai-Tajmahal 1963
Artists: Pradeep Kumar, Beena Rai
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