नग़मा-ओ-शेर की सौगात-गज़ल १९६४
वाली फ़िल्में काफी कीं और स्टंट फिल्मों में भी काम किया
मगर गज़ल फिल्म में उनका किरदार बिलकुल अलग है. एक
संजीदा शेर-शायरी वाला युवक. सुनील दत्त के लिए ये रोल
काफी चैलेंजिंग रहा होगा.
फिल्म के लिए साहिर लुधियानवी की सेवाएं लीं गयीं थीं गीत
लिखने के लिए. उन्होंने एक से बढ़कर एक गीत लिखे फिल्म
के लिए और इन गीतों में से कुछ बेहद प्रसिद्ध हुए. फिल्म में
मदन मोहन का संगीत है. मदन मोहन लता के लिए विशेष
गीत रचने के लिए जाने जाते हैं मगर इस फिल्म के रफ़ी के
गाये गीत ज्यादा चलन में हैं.
गीत के बोल:
किसे पेश करूँ
नग़मा-ओ-शेर की सौगात किसे पेश करूँ
नग़मा-ओ-शेर की सौगात किसे पेश करूँ
ये छलकते हुए जज़बात किसे पेश करूँ
ये छलकते हुए जज़बात किसे पेश करूँ
नग़मा-ओ-शेर की
शोख़ आँखों के उजालों को लुटाऊं किस पर
शोख़ आँखों के उजालों को लुटाऊं किस पर
मस्त ज़ुल्फ़ों की सियह रात किसे पेश करूँ
मस्त ज़ुल्फ़ों की सियह रात किसे पेश करूँ
नग़मा-ओ-शेर की
गर्म सांसों में छिपे राज़ बताऊँ किसको
गर्म सांसों में छिपे राज़ बताऊँ किसको
नर्म होठों में दबी बात किसे पेश करूँ
नर्म होठों में दबी बात किसे पेश करूँ
नग़मा-ओ-शेर की
कोई हमराज़ तो पाऊँ कोई हमदम तो मिले
कोई हमराज़ तो पाऊँ कोई हमदम तो मिले
दिल की धड़कन के इशारात किसे पेश करूँ
दिल की धड़कन के इशारात किसे पेश करूँ
नग़मा-ओ-शेर की सौगात किसे पेश करूँ
ये छलकते हुए जज़बात किसे पेश करूँ
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Nagma-o-sher ki saugat kise-Ghazal 1964
Artists: Sunil Dutt, Meena Kumari
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