नि स ग म प नि-आनंद महल १९७७
बासु भट्टाचार्य ने. विजय अरोड़ा और सारिका इस फिल्म के प्रमुख
कलाकार हैं.
इस फिल्म से येसुदास का गाया एक गीत सुनते हैं. योगेश के लिखे
गीत की तर्ज़ बनाई है सलिल चौधरी ने. सुनने में सरल मगर कठिन
हैं धुन इसकी. गुनगुनाने वाले के लिए इस गीत में भटक जाने के
लिए कई मोड हैं. सलिल के संगीत की यही विशेषता है. गाने वाले
के लिए कब खाई आ जाए और कब पहाड़ की ऊंची चोटी अनुमान
लगा पाना कठिन होता था.
सुनिए ये गीत और इसका आनंद लीजिए. गीत काफी पहले बन चुका
था मगर फिल्म देर से रिलीज़ हुई इसलिए ये गीत बाद में सुनाई
देना शुरू हुआ.
गीत के बोल:
नि स ग म प नि स रे ग
आ आ रे मितवा
जनम जनम से हैं हम तो प्यासे
आ संग मेरे गा
नि स ग म प नि स रे ग
आ आ रे मितवा
जनम जनम से हैं हम तो प्यासे
आ संग मेरे गा
नि स ग म प नि स रे ग
सपना देखें मेरे खोये खोये नैना
मितवा मेरे आ तू भी सीख ले सपने देखना
सपना देखें मेरे खोये खोये नैना
मितवा मेरे आ तू भी सीख ले सपने देखना
आ
नि स नि ध प म ग रे स
नि स ग म प नि स रे ग
आ आ रे मितवा
जनम जनम से हैं हम तो प्यासे
आ संग मेरे गा
नि स ग म प नि स रे ग
जाने ना तू ग़म की गहराईयाँ
आ जा कट जायें मेरी तनहाईयाँ
जाने ना तू ग़म की गहराईयाँ
आ जा कट जायें मेरी तनहाईयाँ
आ भी जा बरसा दे प्रीत का सावन
बरसों के जलते मन की
बुझ जाये अगन आ भी जा
बरसा दे प्रीत का सावन
बरसों के जलते मन की
बुझ जाये अगन
आ
नि सा नि सा नि ध प ध प म ग ग म रे सा
नि स ग म प नि स रे ग
आ आ रे मितवा
जनम जनम से हैं हम तो प्यासे
आ संग मेरे गा
नि स ग म प नि स रे ग
आ आ आ
ग प ध नि द
ग प ध नि ध नि ध प ग प ध नि द
स ग प ध
ध नि स ध नि प ध नि प ध, ग म ध प ध
नि प रे नि प ग स
नि स नि स प ध नि ध ग म प ग म रे स
नि स ग म प नि स रे ग
आ आ रे मितवा
जनम जनम से हैं हम तो प्यासे
आ संग मेरे गा
नि स ग म प नि स रे ग
आ आ आ
.................................................................................
Ni sa ga ma pa-Anand Mahal 1977
0 comments:
Post a Comment