आ गले लग जा-अप्रैल फूल १९६४
वैसे आपको हर महीने फूल खिलते मिल जायेंगे मगर जो
आनंद १ अप्रैल को आता है वैसा साल में कभी और नहीं.
बनने वाले और बनाने वाला दोनों आनंद उठाते हैं इसका
तबियत से. और दिनों में जो हम आप दुकानदारों से,
मित्रों से, अजनबियों से, रिश्तेदारों से बेवकूफ बना करते
हैं वो दुखदाई होता है.
सुनते हैं शैलेन्द्र का लिखा और रफ़ी का गाया एक पॉपुलर
गीत अप्रैल फूल फिल्म से जिसकी आकर्षक धुन बनाई है
शंकर जयकिशन ने. गीत की विशेषता है मुखड़े का तीन बार
दोहराया जाना जो हमें ३० और ४० के दशक के फ़िल्मी
गानों में देखने को मिलता था. मुखडा छोटा है मगर अंतरे
की लाइनें बड़ी हैं इस गीत में.
गीत के बोल:
आ गले लग जा मेरे सपने मेरे अपने
मेरे पास आ
आ गले लग जा मेरे सपने मेरे अपने
मेरे पास आ
आ गले लग जा मेरे सपने मेरे अपने
मेरे पास आ
हो ओ ओ ओ आ गले लग जा
आबाद है तू मेरी धडकनों में मेरी जान तुझमे बसी है
बादल से जो आस है मोर को मेरे दिल को वो तुझसे लगी है
एक तेरी मुस्कान अंगडाई लेती हुई मेरी तकदीर जागे
एक तेरी झलकी चली आए पल में मेरी मंजिलें मेरे आगे
आ गले लग जा मेरे सपने मेरे अपने
मेरे पास आ
आ गले लग जा मेरे सपने मेरे अपने
मेरे पास आ
हो ओ ओ ओ ओ आ गले लग जा
मत आजमा तू मेरे प्यार को खेल मत यूं मेरी जिंदगी से
उल्फत के मारों को क्या मारना जान दे देते हैं जो खुशी से
ये हुस्न जिसको मिले जानेजां बेदिली उसको सजती नहीं है
हो खूबरू चाँद से जो हसीं बेरुखी उसकी जँचती नहीं है
आ गले लग जा मेरे सपने मेरे अपने
मेरे पास आ
आ गले लग जा मेरे सपने मेरे अपने
मेरे पास आ
आ गले लग जा मेरे सपने मेरे अपने
मेरे पास आ
हो ओ ओ ओ ओ आ गले लग जा
................................................................................
Aa gale lag ja-April fool 1964
Artists: Biswajeet
0 comments:
Post a Comment