चुन्दरिया कटती जाए रे-मदर इण्डिया १९५७
के स्कूल से निकला कोई छात्र है. यह गीत है नौशाद के
संगीत निर्देशन वाला.
कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि मन्ना डे के गीत सब एक
जैसे सुनाई देते हैं. उनमें से ही एक सज्जन से एक बार
चर्चा हुई थी मन्ना के गीतों पर.
मन्ना की गायकी अव्वल दर्जे की है लेकिन दूसरे गायकों
की तरह उन्हें प्रसिद्धि हासिल नहीं हुई उसकी केवल एक
वजह है-टोनल क्वालिटी. ये क्वालिटी सुनने वाले निर्धारित
किया करते हैं. जिसको अंग्रेजी में कहते है-अपीलिंग आवाज़.
उनकी आवाज़ आम आदमी को पहली बार में आकृष्ट नहीं
कर पाती है और संजीदा संगीत भक्त ही ज्यादा पसंद करते
हैं. गंभीर संगीत भक्तों के लिए तो मन्ना डे के गाने खज़ाना
हैं.
उनकी आवाज़ में कोमलता का एक भाव है जिसकी वजह
से उनके अधिकाँश गीत सोफ्ट किस्म के सुनाई देते हैं और
ये भाव कई नामचीन गायकों की आवाजों से नदारद है.
गीत के बोल:
चुन्दरिया कटती जाए रे
उमरिया घटती जाए रे
काम कठिन है जीवन थोडा
काम कठिन है रे
काम कठिन है जीवन थोडा
पगला मन घबराए
चुन्दरिया कटती जाए रे
उमरिया घटती जाए रे
दुःख दर्द सहें बंजारे भैया
धुप में देखें तारे
दिन रात बहाएं पसीना हम
कुछ हाथ न आये हमारे
कुछ हाथ न आये हमारे
हमरी सारी मेह्नात माया
ठगवा ठग ले जाए
चुन्दरिया कटती जाए रे
उमरिया घटती जाए रे
धरती पर कितने बारहमासे
बीत गए रे आ के रामा
बीत गए रे आ के
दुनिये के लिए है लीला तेरी
हमरे भाग में फाके रामा
हमरे भाग में फाके
कागज़ हो तो बांच लूं रामा
भाग ना बाचो जाए
चुन्दरिया कटती जाए रे
उमरिया घटती जाए रे
संसार में तेरे लूट मची
और जान के पड़ गए लाले
और जान के पड़ गए लाले
अब रोक जनम की चक्की रे
अब रोक जनम की चक्की रे
संसार चलने वाले
संसार चलने वाले
काल पड़ा है रोटी का और
दुनिया बढती जाए
चुन्दरिया कटती जाए रे
उमरिया घटती जाए रे
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Chundariya katti jaaye re-Mother India 1957
Artists: Rajkumar, Nargis
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