इस रंग बदलती दुनिया में-राजकुमार १९६४
रंग बदलती दुनिया का जिक्र है. इस थीम पर आप पहले दो गीत कल
सुन चुके हैं. इस गीत में पर्सनल सजेशन जैसा है. वैसे कुछ बातें सभी
पर लागू हो सकती हैं. गीत कभी कभी रोमांटिक लगता है तो कभी
एंटी-रोमांटिक.
हसरत जयपुरी हैं इसके गीतकार और शंकर जयकिशन की धुन पर इसे
गाया है रफ़ी ने. ये भी एक लोकप्रिय गीत है. ज्यादा लोकप्रिय गीतों के
टैग में हम उसका उल्लेख कर देते हैं.
इस साईट पर से बहुतों ने फायदा उठाया है. गूगल को शायद इस साईट
में और दूसरी साइटें जिन पर आधे अधूरे बोल दिए रहते हैं, कोई फर्क
नज़र नहीं आता. वैसे गूगल को फ्री ब्लॉग कम समझ में आते हैं. उसे
पैसे खर्च करके बनाई साइटें ही लुभावनी लगती हैं.
गीत के बोल:
इस रंग बदलती दुनिया में
इनसान की नीयत ठीक नहीं
निकला न करो तुम सज धज कर
ईमान की नीयत ठीक नहीं
इस रंग बदलती दुनिया में
इनसान की नीयत ठीक नहीं
निकला न करो तुम सज धज कर
ईमान की नीयत ठीक नहीं
इस रंग बदलती दुनिया में
ये दिल है बड़ा ही दीवाना
छेड़ा न करो इस पागल को
ये दिल है बड़ा ही दीवाना
छेड़ा न करो इस पागल को
तुम से न शरारत कर बैठे
नादान की नीयत ठीक नहीं
इस रंग बदलती दुनिया में
इनसान की नीयत ठीक नहीं
निकला न करो तुम सज धज कर
ईमान की नीयत ठीक नहीं
इस रंग बदलती दुनिया में
काँधे से हटा लो सर अपना
ये प्यार मुहब्बत रहने दो
काँधे से हटा लो सर अपना
ये प्यार मुहब्बत रहने दो
कश्ती को सम्भालो मौजों में
तूफ़ान की नीयत ठीक नहीं
इस रंग बदलती दुनिया में
इनसान की नीयत ठीक नहीं
निकला न करो तुम सज धज कर
ईमान की नीयत ठीक नहीं
इस रंग बदलती दुनिया में
मैं कैसे खुदा हाफ़िज़ कह दूँ
मुझको तो किसी का यकीन नहीं
मैं कैसे खुदा हाफ़िज़ कह दूँ
मुझको तो किसी का यकीन नहीं
छुप जाओ हमारी आँखों में
भगवान की नीयत ठीक नहीं
इस रंग बदलती दुनिया में
इनसान की नीयत ठीक नहीं
निकला न करो तुम सज धज कर
ईमान की नीयत ठीक नहीं
इस रंग बदलती दुनिया में
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Is rang badalti duniya mein-Rajkumar 1964
Artists: Shammi Kapoor, Sadhana
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