लो चल दिए वो-गुलनार १९५३
का वही स्थान है पडोसी देश में जो हमारे यहाँ लता मंगेशकर
का है. वहाँ के संगीत प्रेमी दोनों के गीत बड़े चाव से सुनते हैं.
फिल्म गुलनार के इस गीत को लिखा है कातिल शिफाई ने और
इसकी धुन बनाई है गुलाम हैदर ने.
गीत के बोल:
लो चल दिए वो हमको तसल्ली दिए बग़ैर
एक चाँद छुप गया है उजाला किए बग़ैर
लो चल दिए
उनसे बिछड़ के हमको तमन्ना है मौत की
उनसे बिछड़ के हमको तमन्ना है मौत की
आ आती नहीं है मौत भी लेकिन जिये बग़ैर
लो चल दिए
माँगे से मिल सकी न हमें कभी ख़ुशी
हमें कभी ख़ुशी
आ पाए हैं लाख रंज तमन्ना किए बग़ैर
लो चल दिए
ए वक़्त-ए-इश्क़ यार न ले इम्तिहान-ए-ग़म
ए वक़्त-ए-इश्क़ यार न ले इम्तिहान-ए-ग़म
आ आ आ हम रो रहे हैं नाम किसी का लिए बग़ैर
लो चल दिए
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Lo chal diye wo-Gulnar 1953
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