Jan 10, 2017

औरत ने जनम दिया मर्दों को-साधना १९५८

प्रगतिशील और सुधारवादी फ़िल्में बनती रहीं आजादी के बाद
समय समय पर. व्यावसायिक सिनेमा के फिल्मकारों में कुछ
ऐसे भी हैं जिन्होंने सार्थक फ़िल्में बनाने का सफल प्रयास किया
हैसे वी शांताराम, बी आर चोपड़ा इत्यादि. बी आर चोपड़ा ने
अलग अलग विषयों पर फ़िल्में बनायीं.

नारी की स्तिथि पर इससे बेहतर कविता शायद ही आपको मिले
हिंदी फिल्म संगीत के खजाने में.




गीत के बोल:

औरत ने जनम दिया मर्दों को 
मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला 
जब जी चाहा दुत्कार दिया

तुलती है कहीं दीनारों में 
बिकती है कहीं बाज़ारों में
नंगी नचवाई जाती है 
ऐय्याशों के दरबारों में
ये वो बेइज़्ज़त चीज़ है जो 
बंट जाती है इज़्ज़तदारों में

औरत ने जनम दिया मर्दों को

मर्दों के लिये हर ज़ुल्म रवाँ 
औरत के लिये रोना भी खता
मर्दों के लिये लाखों सेजें 
औरत के लिये बस एक चिता
मर्दों के लिये हर ऐश का हक़ 
औरत के लिये जीना भी सज़ा
औरत ने जनम दिया मर्दों को

जिन होठों ने इनको प्यार किया 
उन होठों का व्योपार किया
जिस कोख में इनका जिस्म ढला 
उस कोख का कारोबार किया
जिस तन से उगे कोपल बन कर 
उस तन को ज़लील-ओ-खार किया
औरत ने जनम दिया मर्दों को

मर्दों ने बनायी जो रस्में 
उनको हक़ का फ़रमान कहा
औरत के ज़िन्दा जलने को
 कुर्बानी और बलिदान कहा
इस्मत के बदले रोटी दी 
और उसको भी एहसान कहा
औरत ने जनम दिया मर्दों को

संसार की हर एक बेशर्मी 
गुर्बत की गोद में पलती है
चकलों ही में आ के रुकती है 
फ़ाकों से जो राह निकलती है
मर्दों की हवस है जो अक्सर 
औरत के पाप में ढलती है
औरत ने जनम दिया मर्दों को

औरत संसार की क़िस्मत है 
फ़िर भी तक़दीर की हेटी है
अवतार पयम्बर जनती है 
फिर भी शैतान की बेटी है
ये वो बदक़िस्मत माँ है जो 
बेटों की सेज़ पे लेटी है

औरत ने जनम दिया मर्दों को
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Aurat ne janam diya mardon ko-Sadhna 1958

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