Jan 2, 2017

कभी आँसू बहाते हैं-मधुर मिलन १९५५

सन १९५५ की फिल्म मधुर मिलन फिल्म शो नामक संस्था ने
बनाई और इसका निर्देशन के जी पंजवानी ने किया था. महिपाल
निगार सुल्ताना, रूपमाला, केसरी और मदन पुरी फिल्म के प्रमुख
कलाकार हैं. निर्देशक और निर्माता का इस फिल्म के अलावा कोई
विवरण मुझे दिखा नहीं या मैंने नहीं देखा मान लें.

संगीतकार बुलो सी रानी का नाम भी बी ग्रेड और सी ग्रेड फिल्मों
के साथ जोड़ कर देखा जाता है. ५६ फिल्मों में संगीत देना कोई
बच्चों का खेल नहीं है. यूँ कह सकते हैं उन्हें कोई फुल टाइम
कद्रदान या प्रशंसक नहीं मिला जो उनके संगीत पर रौशनी डालता.

ये बात ज़रूर है कि सन १९५० की फिल्म जोगन ही उनकी सबसे
उल्लेखनीय फिल्म है. फिल्म के निर्देशक केदार शर्मा हैं. इसका
मतलब ये समझा जाए कि बेहतर निर्देशकों वाली फ़िल्में और
उनसे जुड़ा संगीत ही प्रसिद्धि प्राप्त करता है, कुछ हद तक सही
है. जोगन के सारे गीत माइलस्टोन गीत कहे जाते हैं.

गीत सुनते हैं जो रफ़ी और तलत महमूद ने गाया है. दोनों के
युगल गीत काफी कम हैं और रेयर की श्रेणी में आते हैं. इस गीत
को एस एच बिहारी ने लिखा है. रफ़ी ने गीत की बस एक पंक्ति
गई है, सबसे आखिरी.




गीत के बोल:

कभी आँसू बहाते हैं कभी फ़रियाद करते हैं
अरे बिछड़े हुए साथी तुझे हम याद करते हैं
कभी आँसू बहाते हैं कभी फ़रियाद करते हैं
अरे बिछड़े हुए साथी तुझे हम याद करते हैं
कभी आँसू बहाते हैं

सहारा ढूँढते हैं जंगलों में तुझसे मिलने का
सहारा ढूँढते हैं जंगलों में तुझसे मिलने का
इसी उम्मीद पर हम अपने दिल को शाद करते हैं
अरे बिछड़े हुए साथी तुझे हम याद करते हैं
कभी आँसू बहाते हैं

नहीं मालूम ये हमको कहाँ मंज़िल हमारी है
नहीं मालूम ये हमको कहाँ मंज़िल हमारी है
कहाँ मंज़िल हमारी है
है दूर बड़ी दूर बड़ी दूर ठिकाना
.....................................................................................
Kabhi aansoo bahate hain kabhi-Madhur Milan 1955

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