लकड़ी की काठी काठी पे घोड़ा-मासूम १९८६
कोई विशेष मतलब निकलने का कोई मतलब नहीं होता. ये
बस यूँ ही और कैसे भी लिखे जाते हैं. बड़ों के लिए बने हुए
गीतों में धोती फाड़ के रुमाल हो सकता है तो बच्चों वाले गीत
में रुमाल फाड़ के धोती बन सकती है.
गुलज़ार का लिखा और आर डी बर्मन द्वारा संगीतबद्ध गीत सुनते
हैं फिल्म मासूम से. वनिता मिश्रा, गुरप्रीत कौर और गौरी बापट
ने इस गीत को गाया है. जुगल हंसराज, उर्मिला मातोंडकर और
तीसरे बच्चे का नाम मुझ मालूम नहीं, परदे पर दिखलाई दे
रहे हैं.
गीत के बोल:
लकड़ी की काठी काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
घोड़ा पहुंचा चौक में चौक में था नाई
घोड़े जी की नाई ने हज़ामत जो बनाई
चग-बग चग-बग चग-बग चग-बग
घोड़ा पहुंचा चौक में चौक में था नाई
घोड़े जी की नाई ने हज़ामत जो बनाई
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
घोड़ा था घमंडी पहुंचा सब्जी मंडी
सब्जी मंडी बरफ़ पड़ी थी बरफ़ में लग गई ठंडी
चग-बग चग-बग चग-बग चग-बग
घोड़ा था घमंडी पहुंचा सब्जी मंडी
सब्जी मंडी बरफ़ पड़ी थी बरफ़ में लग गई ठंडी
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
लकड़ी की काठी काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
घोड़ा अपना तगड़ा है देखो कितनी चरबी है
चलता है महरौली में पर घोड़ा अपना अरबी है
चग-बग चग-बग चग-बग चग-बग
घोड़ा अपना तगड़ा है देखो कितनी चरबी है
चलता है महरौली में पर घोड़ा अपना अरबी है
बांह छुड़ा के दौड़ा घोड़ा दुम उठा के डौड़ा
लकड़ी की काठी काठी पे घोड़ा
घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा
दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोड़ा दुम उठा के दौड़ा
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Ladki ki kathi-Masoom 1982
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