ओ फिरकी वाली-राजा और रंक १९६८
उपन्यास तक पहुँचती है. अच्छा टेस्ट है हमारे निर्माता
निर्देशकों का. इसे दक्षिण के के पी आत्मा ने निर्देशित
किया था. फिल्म का कथानक रोचक है और फ़िल्मी
मसलों से भरपूर भी. इस फिल्म के गाने इतने बजे
कि याद से हो गए. अब आप सोचिये रेडियो के ज़माने
में गाने याद हो जाएँ, कोई आसान काम नहीं है. ये
इसलिए नहीं के कान लगा के केवल एक ही काम बचा
था गाने याद करने का, बल्कि इतनी बार सुनाई दे गए
कि याद होते चले गए. वे ३ गाने गाने हैं जिनमें से
दो आप सुन चुके हैं अब तीसरा भी सुन लेते हैं.
संजीव कुमार और नाजिमा पर फिल्माया गया ये गीत
आनंद बक्षी की कलम से निकला है और फिल्म का
संगीत तैयार किया है लक्ष्मी प्यारे ने. गायक को आप
पहचानते ही हैं.
गीत के बोल:
ओ फिरकी वाली तू कल फिर आना
नहीं फिर जाना तू अपनी जुबान से
के तेरे नैना हैं ज़रा बेईमान से
मतवाली ये दिल क्यों तोड़ा
ये तीर काहे छोड़ा नजर की कमान से
के मर जाऊँगा मैं बस मुस्कान से
ओ फिरकी वाली...
पहले भी तूने इक रोज़ ये कहा था
पहले भी तूने इक रोज़ ये कहा था
आऊँगी तू ना आई
वादा किया था सैंया बन के बदरिया
छाऊँगी तू ना छाई
मेरे प्यासे मेरे प्यासे नैना तरसे
तू निकली ना घर से
कैसे बीती वो रात सुहानी
तू सुन ले कहानी ये सारे जहान से
के तेरे नैना हैं ज़रा बेईमान से
ओ फिरकी वाली तू कल फिर आना
नहीं फिर जाना तू अपनी जुबान से
के तेरे नैना हैं ज़रा बेईमान से
सोचा था मैंने किसी रोज़ गोरी हँस के
सोचा था मैंने किसी रोज़ गोरी हँस के
बोलेगी तू ना बोली
मेरी मोहब्बत भरी बातें सुन-सुन के
डोलेगी तू ना डोली
ओ सपनों में
ओ सपनों में आने वाली
रुक जा जाने वाली
किया तूने मेरा दिल चोरी
ये पूछ ले गोरी ज़मीं आसमान से
के तेरे नैना हैं ज़रा बेईमान से
ओ फिरकी वाली तू कल फिर आना
नहीं फिर जाना तू अपनी जुबान से
के तेरे नैना हैं ज़रा बेईमान से
के तेरे नैना हैं ज़रा बेईमान से
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O phirki wali too kal phir aana-Raja aur rank 1968
Artists: Sanjeev Kumar,Nazima