खिलते हैं गुल यहाँ(किशोर)-शर्मीली १९७१
के सुनवाए अब सुनिए किशोर कुमार का गाया एक गीत.
बेहद लोकप्रिय गीत है ये. फिल्म का नाम है शर्मीली.
कुछ हीरो खूबसूरत है, कुछ हीरोईन खूबसूरत है, कुछ इस
गाने के बोल, कुछ गाने का संगीत, कुछ किशोर कुमार की
आवाज़ और बाकी का इस गीत के तीसरे अंतरे का शानदार
फिल्मांकन. लाजवाब. गीत खत्म होते नायिका हिप्नोटिज्म
का शिकार हो जाती है.
फिल्म के निर्देशक हैं समीर गांगुली जिन्होंने सन १९७५ की
फिल्म जग्गू का निर्देशन भी किया. सन १९६७ की फिल्म
शागिर्द से निर्देशन शुरू करने वाले समीर की दृष्टि पैनी है
और पकड़ मजबूत. गीतों के उनके फिल्मांकन के तरीके
में मैंने ये बात महसूस की.
गीत के बोल:
खिलते हैं गुल यहाँ खिल के बिखरने को
खिलते हैं गुल यहाँ खिल के बिखरने को
मिलते हैं दिल यहाँ मिल के बिछड़ने को
खिलते हैं गुल यहाँ
कल रहे ना रहे मौसम ये प्यार का
कल रुके न रुके डोला बहार का
कल रहे ना रहे मौसम ये प्यार का
कल रुके न रुके डोला बहार का
चार पल मिले जो आज प्यार में गुज़ार दे
खिलते हैं गुल यहाँ खिल के बिखरने को
खिलते हैं गुल यहाँ
झीलों के होंठों पर मेघों का राग है
फूलों के सीने में ठंडी-ठंडी आग है
झीलों के होंठों पर मेघों का राग है
फूलों के सीने में ठंडी-ठंडी आग है
दिल के आइने में तू ये समा उतार दे
खिलते हैं गुल यहाँ खिल के बिखरने को
खिलते हैं गुल यहाँ
प्यासा है दिल सनम प्यासी ये रात है
होंठों मे दबी-दबी कोई मीठी बात है
प्यासा है दिल सनम प्यासी ये रात है
होंठों मे दबी-दबी कोई मीठी बात है
इन लम्हों पे आज तू हर खुशी निसार दे
खिलते हैं गुल यहाँ खिल के बिखरने को
मिलते हैं दिल यहाँ मिल के बिछड़ने को
खिलते हैं गुल यहाँ
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Khilte hain gul yahan-Sharmili 1971
Artists: Shashi Kapoor, Rakhi