आई आई घिर घिर सावन की-अनोखा दान १९७२
किसी किसी गीत का संगीत कॉम्प्लेक्स होता है. सलिल चौधरी
के संगीत में कॉम्प्लेक्स तत्व काफी पाया जाता था.
अनोखा दान से एक कर्णप्रिय गीत आपने पहले सुना अब सुनते
हैं किशोर कुमार का गाया एक गीत जिसमें सबीता बैनर्जी ने
भी अपना स्वर दिया है. योगेश गौड़ ने इस गीत को लिखा है.
गीत के बोल:
आई आई घिर घिर सावन की काली काली घटायें
झूम झूम चलीं भीगी भीगी हवायें
ऐसे में मन मेरे कुछ तो कहो
कुछ तो कहो चुप ना रहो
आई आई घिर घिर सावन की घटायें
झूम झूम चलीं भीगी भीगी हवायें
ऐसे में मन मेरे कुछ तो कहो
कुछ तो कहो चुप ना रहो
जो ख्यालों में रहते हैं मुझे अपना कहते हैं
जो ख्यालों में रहते हैं मुझे अपना कहते हैं
मेरे सुख दुःख जो सारे हंस के जो सहते हैं
वो दूर से मजबूर से कहीं दे रहे हैं पनाहें
आई आई घिर घिर सावन की काली काली घटायें
झूम झूम चलीं भीगी भीगी हवायें
ऐसे में मन मेरे कुछ तो कहो
कुछ तो कहो चुप ना रहो
रंग मौसम का ही बदले रात हो या के दिन निकले
रंग मौसम का ही बदले रात हो या के दिन निकले
उनसे ही चलते हैं साँसों के सिलसिले
ए मेरे दिल चल अब उनसे मिल धडकनें यही गायें
आई आई घिर घिर सावन की काली काली घटायें
झूम झूम चलीं भीगी भीगी हवायें
ऐसे में मन मेरे कुछ तो कहो
कुछ तो कहो चुप ना रहो
याद उनकी जहाँ आये एक नशा सा छलक जाए
याद उनकी जहाँ आये एक नशा सा छलक जाए
मैं सम्भालूँ दिल को दिल मुझे समझाए
सब रूत खिले ऐसा साथी होश में क्यूँ आयें
आई आई घिर घिर सावन की काली काली घटायें
झूम झूम चलीं भीगी भीगी हवायें
ऐसे में मन मेरे कुछ तो कहो
कुछ तो कहो चुप ना रहो
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Aayi ghir ghir sawan ki-Anokha daan 1972