बेमुरव्वत बेवफ़ा-सुशीला १९६३
की दुनिया के लिए ही कहा जा रहा हो ऐसा प्रतीत होता है.
रुपहले परदे की दुनिया के अपने नियम कायदे और रवैया
है. कलाकारों की भीड़ में चुनिन्दा ही ऊंचे मुकाम हासिल
कर पाते हैं. एक बात ज़रूर है विलक्षण प्रतिभाएं छुपाएँ
नहीं छुपतीं.
गीत है जां निसार अख्तर का लिखा और सी अर्जुन का
संगीतबद्ध किया हुआ जिसे मुबारक बेगम ने गाया है.
गीत के बोल:
दर्द-ए-दिल दर्द-ए-वफ़ा दर्द-ए-तमन्ना क्या है
आप क्या जानें मोहब्बत का तकाज़ा क्या है
बेमुरव्वत बेवफ़ा बेगाना-ए-दिल आप हैं
बेमुरव्वत बेवफ़ा बेगाना-ए-दिल आप हैं
आप मानें या न मानें मेरे क़ातिल आप हैं
बेमुरव्वत बेवफ़ा
आप से शिकवा है मुझको ग़ैर से शिकवा नहीं
आप से शिकवा है मुझको ग़ैर से शिकवा नहीं
जानती हूँ दिल में रख लेने के क़ाबिल आप हैं
बेमुरव्वत बेवफ़ा
साँस लेती हूँ तो यूँ महसूस होता है मुझे
साँस लेती हूँ तो यूँ महसूस होता है मुझे
जैसे मेरे दिल की हर धड़कन में शामिल आप हैं
बेमुरव्वत बेवफ़ा
ग़म नहीं जो लाख तूफ़ानों से टकराना पड़े
ग़म नहीं जो लाख तूफ़ानों से टकराना पड़े
मैं वो कश्ती हूँ कि जिस कश्ती का साहिल आप हैं
बेमुरव्वत बेवफ़ा बेगाना-ए-दिल आप हैं
आप माने या न माने मेरे क़ातिल आप हैं
बेमुरव्वत बेवफ़ा
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Bemurawwat bewafa-Sushila 1963
