बुझा दो दीपक हूँ-दर्पण १९७०
कुछ अलग हट के कहानी पर बनी फिल्म है. जैसा कि आप जानते
हैं इस जुमले का प्रयोग फ़िल्मी सितारों के खूब किया पत्रिकाओं के
ज़माने में और जब टी वी का चलन बढ़ने लगा. आज इन सब की
ज़रूरत नहीं पढ़ती है. आज प्रोमोज़ ही अलग हट के बनाये जाने लगे
हैं. आज की जनता प्रोमोज़ से अंदाजा लगा लेती है फिल्म में क्या
होगा.
इस फिल्म से किशोर कुमार का गाया उम्दा गीत सुनते हैं. काव्य
में बात को घुमाव दिया जाता है जो चीज़ पद्य में सरल सी लगती है
उसे कविता और गीत में थोडा अलग अंदाज़ में पेश किया जाता है.
इस गीत का मुखडा है बुझा दो, दीपक हूँ, अँधेरा कर दो. गीत में
नायक की खुशनुमा भावनाओं के साथ नायिका के मन में चल रही
कशमकश के सजीव चित्रण है. फ़िल्मी प्रणय गीतों में सबसे बढ़िया
गीत जो हैं उनमें इसे भी शामिल कर लें.
आनंद बक्षी ने लक्ष्मी प्यारे के लिए १०७१ गीत लिखे. ये किसी भी
गीतकार-संगीतकार जोड़ी द्वारा उत्पादित सबसे ज्यादा संख्या है. सूची
में इसके बाद समीर संग आनंद मिलिंद का नंबर है. उत्पादन/हिट के
अनुपात की बात की जाए तो वो आनंद बक्षी और लक्ष्मी प्यारे की
जोड़ी का बेहतर है.
गीत के बोल:
बुझा दो दीपक हूँ अन्धेरा कर दो
बुझा दो दीपक हूँ अन्धेरा कर दो
उठा दो घूँघट हाय सवेरा कर दो
बुझा दो दीपक हूँ अन्धेरा कर दो
उठा दो घूँघट हाय सवेरा कर दो
बुझा दो दीपक
शरम के मारे हाथों से ये चेहरा ढाँप के
शरम के मारे हाथों से ये चेहरा ढाँप के
न दूर दूर जाओ सर से काँप काँप के
कि अब आओ पास मेरी प्यास तो बुझा दो
कोई ग़म है तो हाय वो मेरा कर दो
बुझा दो दीपक
बदल लो रूप अपना आज मेरे प्यार से
बदल लो रूप अपना आज मेरे प्यार से
सजा दो मेरी सूनी सेज को बहार से
खुशी के फूल ग़म की धूल पे बिछा के
इसे खुशियों का हाय बसेरा कर दो
बुझा दो दीपक
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Bujha do Deepak-Darpan 1970
Artist: Sunil Dutt, Waheeda Rehman