रुत जवाँ जवाँ-आखिरी खत १९६६
सन १९६६ की फिल्म आखिरी खत से जिसे भूपेंद्र ने गाया
है. ये भूपेंद्र का डेब्यू सोलो गीत है हिंदी फिल्मों में और परदे
पर भी इसे वे ही गा रहे हैं. क्लब सोंग की तरह इसे फिल्म में
प्रस्तुत किया गया है. भूपेंद्र का पहला गीत है फिल्म मजबूर
में जिसे उन्होंने ३ और गायकों के साथ गाया था-हो के मजबूर
जो ख़ासा प्रसिद्ध है आज भी. भूपेंद्र एक कुशल गिटार प्लेयर
भी हैं.
बोल कैफी आज़मी के हैं और संगीत खय्याम का. फिल्म के
२-३ गीत बेहद लोकप्रिय हैं.
गीत के बोल:
रुत जवाँ जवाँ रात मेहरबाँ
छेड़ो कोई दास्ताँ
रुत जवाँ जवाँ रात मेहरबाँ
छेड़ो कोई दास्ताँ
रुत जवाँ जवाँ
कुछ झुकी-झुकी नज़र कहे
कुछ छुपा-छुपा सा डर कहे
जो कहे वो रात भर कहे
फिर भी न हो कुछ बयाँ
रुत जवाँ जवाँ रात मेहरबाँ
छेड़ो कोई दास्ताँ
रुत जवाँ जवाँ
हुस्न की शिकायतें बजा
है इधर तड़प उधर गिला
ख़ामोशी है दर्द की सदा
आँखें बनी हैं ज़ुबाँ
रुत जवाँ जवाँ रात मेहरबाँ
छेड़ो कोई दास्ताँ
रुत जवाँ जवाँ
ग़म ख़ुशी-ख़ुशी छुपा लिया
दर्द को भी दिल बना लिया
ज़िंदगी ने आज़मा लिया
तुम तो न लो इम्तिहाँ
रुत जवाँ जवाँ रात मेहरबाँ
छेड़ो कोई दास्ताँ
रुत जवाँ जवाँ
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Rut jawan jawan-Akhiri khat 1966