Mar 17, 2017

देखिये साहिबों वो कोई और थी-तीसरी मंजिल १९६६

आशिक़मिज़ाजी और मज्नूगिरी कभी कभी भारी पढ़ जाती
है. नासिर हुसैन की फिल्मों में नायक नायिका के बीच काफ़ी
नोकझोंक दिखलाई जाती है मानो उनकी फ़िल्में लड़की पटाने के
ट्यूटोरियल दे रही हों.

फिल्म में नायक एक स्तिथि में फँस गया है और वो उससे
कैसे निकलता है ये समझिए. ये फिल्म है इसलिए इस फंडे
को आप सामान्य जीवन में अजमाने की कोशिश बिलकुल
ना करें.

इस फिल्मों से हर पीढ़ी ने कुछ ना कुछ सीखा है. अब गाना
और नाचना तो हर किसी को आता नहीं. जिसके जैसा बन
पड़ता है वो उसी से काम चला लेता है. आज की पीढ़ी नाच
गाने के मामले में काफ़ी आगे है. हिमेश रेशमिया, अदनान सामी,
अन्नू मलिक और आतिफ असलम जैसे गायकों को धन्यवाद
देना चाहिए जिन्होंने गायकी के नए नए तरीके लोगों को
सिखलाये.




गीत के बोल:

देखिये साहिबों वो कोई और थी
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बोलों की ज़रूरत हो तो कमेन्ट बॉक्स में लिखे.
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Dekhiye sahibon wo koi-Teesri manzil 1966

Artists: Shammi Kapoor, Asha Parekh

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