सपने सुहाने लड़कपन के-बीस साल बाद १९६२
का जादू वैसे ही बरकरार है. टीनेज यानि के लड़कपन जिसमें
सुहाने और हसीन सपने ज्यादा दिखाई देते हैं उसपर कुछ बयां
है इस गीत में.
इस गीत को शकील बदायूनीं ने लिखा है और इसका संगीत
तैयार किया हेमंत कुमार ने. गायिका है लता मंगेशकर. फिल्म
का लता का गाया एक गीत ज़बरदस्त हिट है-कहीं दीप जले
कहीं दिल. फिल्म के प्रमुख कलाकार हैं वहीदा रहमान और
विश्वजीत. विश्वजीत का नाम बिस्वजीत भी लिखा पाया जाता
है कहीं कहीं. बंगाली और हिंदी नामों में थोड़ा फर्क है. फिल्म
का निर्देशन बीरेन नाग ने गीतांजलि पिक्चर्स नाम की संस्था
के लिए किया. ये संस्था हेमंत कुमार की है.
गीत के बोल:
सपने सुहाने लड़कपन के
मेरे नैनों में डोले बहार बन के
सपने सुहाने लड़कपन के
मेरे नैनों में डोले बहार बन के
जब छाए घटा मतवाली
मेरे दिल पे चलाए आरी
घबराये अकेले मनवा
मैं ले के जवानी हारी
कैसे कटें दिन उलझन के
कोई ला दे ज़माने वो बचपन के
सपने सुहाने लड़कपन के
मेरे नैनों में डोले बहार बन के
जब दूर पपीहा बोले
दिल खाये मेरा हिचकोले
मैं लाज में मर-मर जाऊँ
जब फूल पे भंवरा डोले
छेड़े पवनिया तराने जब मन के
मुझे भाये ना रंग ये जीवन के
सपने सुहाने लड़कपन के
मेरे नैनों में डोले बहार बन के
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Sapne suhane ladakpan ke-Bees saal baad 1962
Artists: Waheeda Rehman, Biswajeet
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