Mar 8, 2017

आई हूँ बड़ी आस लिए-कांच की गुडिया १९६१

एक आस और उम्मीद पर भी जीवन बीत जाता है. मनुष्य
ईश्वर से आस लगता है तो उसे धीरज मिलता है. ईश्वर से
प्रार्थना के लिए वो भजन भी गाता है. 

आपको मुकेश और आशा भोंसले का गाया अपेक्षाकृत ज्यादा
लोकप्रिय गीत सुनवाया था फिल्म कांच की गुडिया से. अब
सुनते हैं एक भजन गीता दत्त की आवाज़ में. गीता दत्त किसी
भी रंग के गीत सहजता से गा लिया करती थीं. समय और
ग्रह नक्षत्र अगर उनके फेवर में चले होते तो उनके नाम के
साथ कई उपलब्धियां और ज़बरदस्त ख्याति जुडी होती.

ये गीत भी शैलेन्द्र का लिखा हुआ है और इसकी तर्ज़ भी
सुहरीद कर ने बनाई है. ये बांके बिहारी नन्दलाल कृष्ण को
समर्पित भजन है. दो लीलाएं सामने बैठी हैं-लीला मिश्रा और
लीला चिटनिस. वाह रे तेरी लीला मुरली वाले.



गीत के बोल:


आई हूँ बड़ी आस लिए शरण तुम्हारी
आई हूँ बड़ी आस लिए शरण तुम्हारी
तुम रख लो मेरी लाज मेरे कृष्ण मुरारी
आई हूँ बड़ी आस लिए शरण तुम्हारी
आई हूँ

तक़दीर ने तो जान के धोखा दिया मुझको
तक़दीर ने तो जान के धोखा दिया मुझको
अपनों ने परायों ने भी ठुकरा दिया मुझको
अब तुम ना सुनोगे तो सुने कौन हमारी

आई हूँ बड़ी आस लिए शरण तुम्हारी
आई हूँ

तुम देख रहे हो जो मुझपे बीत रही है
तुम देख रहे हो जो मुझपे बीत रही है
तुम जानते हो कौन गलत कौन सही है
दुख दर्द का ये दौर तो मुद्दत से है जारी

आई हूँ बड़ी आस लिए शरण तुम्हारी
आई हूँ

हूँ अपने घर में पर मिला है देश-निकाला
हूँ अपने घर में पर मिला है देश-निकाला
जाऊँ के रहूँ बोलो मेरे नन्द के लाला
अब चुप ना रहो आ गई इंसाफ की बारी

आई हूँ बड़ी आस लिए शरण तुम्हारी
तुम रख लो मेरी लाज मेरे कृष्ण मुरारी
आई हूँ
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Aayi hoon badi aas liye-Kaanch ki gudiya 1961

Artist: Saeeda Khan, Tarun Bose, Leela Mishra, Leela Chitnis

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