गम है या खुशी है तू-गुलाम अली गज़ल
हैं. एक आपने ज़रूर सुनी होगी-अपनी धुन में रहता हूँ.
एक और सुन लेते हैं नासिर काज़मी की लिखी हुई.
गीत के बोल:
ग़म है या खुशी है तू
मेरी ज़िन्दगी है तू
आफतों के दौर में
चैन की घड़ी है तू
ग़म है या खुशी है तू
मेरी ज़िन्दगी है तू
मेरी रात का चिराग
मेरी नींद भी है तू
ग़म है या खुशी है तू
मेरी ज़िन्दगी है तू
मैं खिज़ां की शाम हूँ
रूत बहार की है तू
ग़म है या खुशी है तू
मेरी ज़िन्दगी है तू
दोस्तों के दरमियाँ
वजह दोस्ती है तू
ग़म है या खुशी है तू
मेरी ज़िन्दगी है तू
मेरी सारी उम्र में
एक ही कमी है तू
ग़म है या खुशी है तू
मेरी ज़िन्दगी है तू
मैं तो वो नहीं रहा
हाँ मगर वो ही है तू
ग़म है या खुशी है तू
मेरी ज़िन्दगी है तू
'नासिर' इस दयार में
कितना अजनबी है तू
ग़म है या खुशी है तू
मेरी ज़िन्दगी है तू
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Gam hai ya khushi-Ghulam Ali Ghazal
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