तेरे बिना ज़िंदगी से कोई-आंधी १९७५
एक बड़ी वजह इस फिल्म पर प्रतिबन्ध लगाया जाना भी रहा. ये सब
कहानियां संगीत प्रेमी दूसरी जगहों पर कई बार पढ़ चुके हैं अतः उन्हें
दोहराने में कोई दम नहीं. उसके अलावा इस गीत पर इतनी कसीदाकारी
की जा चुकी है कि कोई नयी बात बतलाने की गुंजाईश ना के बराबर है.
गीत में बीच में संवाद हैं और जनता द्वारा ये भी बेहद पसंद किये गए.
ऐसे गीत कम बने और बनते हैं क्यूंकि ऐसे गीतों में बोरियत बढ़ने और
कंटिन्यूटी टूटने का खतरा बना रहता है. आजकल के गीतों की बात
छोडिये उसमें तो बहुत कुछ टूटता और फूटता है.
गीत लता और किशोर ने गाया है. गुलज़ार के बोल हैं और पंचम का
संगीत.
गीत के बोल:
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं
शिकवा नहीं शिकवा नहीं शिकवा नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन ज़िंदगी तो नहीं
ज़िंदगी नहीं ज़िंदगी नहीं ज़िंदगी नहीं
काश ऐसा हो तेरे कदमों से चुन के मंज़िल चलें
और कहीं दूर कहीं
काश ऐसा हो तेरे कदमों से चुन के मंज़िल चलें
और कहीं दूर कहीं
तुम गर साथ हो मंज़िलों की कमी तो नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं
शिकवा नहीं शिकवा नहीं शिकवा नहीं
जी में आता है तेरे दामन में सर छुपा के हम
रोते रहें रोते रहें
जी में आता है तेरे दामन में सर छुपा के हम
रोते रहें रोते रहें
तेरी भी आँखों में आँसुओं की नमी तो नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं
शिकवा नहीं शिकवा नहीं शिकवा नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन ज़िंदगी तो नहीं
ज़िंदगी नहीं ज़िंदगी नहीं ज़िंदगी नहीं
तुम जो कह दो तो आज की रात चांद डूबेगा नहीं
रात को रोक लो
तुम जो कह दो तो आज की रात चांद डूबेगा नहीं
रात को रोक लो
रात की बात है और ज़िंदगी बाकी तो नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिकवा तो नहीं शिकवा नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन ज़िंदगी तो नहीं
ज़िंदगी नहीं ज़िंदगी नहीं ज़िंदगी नहीं
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Tere bina zindagi se shikwa-Aandhi 1975
Artists: Sanjeev Kumar, Suchitra Sen
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