Apr 27, 2017

ना कोई उमंग है-कटी पतंग १९७०

ये फिल्म का शीर्षक गीत है.परदे पर इसे आशा पारेख पर फिल्माया गया
है. गीत वो जो सर पे चढ के बोले. इस गीत की धुन में अजीब सी कसक
महसूस होती है.

कई बार व्यक्ति अपने बनाये हुए आवरण या खोल से खुद ही परेशान हो
जाता है. ये उसकी च्वाईस होती है अतः उसका परिणाम भी उसे ही झेलना
होता है. दुनिया केवल प्रतिध्वनि और प्रतिक्रिया देने का काम करती है.

फिल्म: कटी पतंग
वर्ष: १९७०
गीतकार: आनंद बक्षी
गायिका: लता मंगेशकर
संगीत: आर डी बर्मन



गीत के बोल:

ना कोई उमंग है न कोई तरंग है
मेरी ज़िंदगी है क्या एक कटी पतंग है

आकाश से गिरी मैं इक बार कट के ऐसे
दुनिया ने फिर न पूछा लूटा है मुझको कैसे
न किसी का साथ है न किसी का संग है
मेरी ज़िंदगी है क्या एक कटी पतंग है

लग के गले से अपने बाबुल के मैं न रोई
डोली उठी यूँ जैसे अर्थी उठी हो कोई
यही दुख तो आज भी मेरा अंग संग है
मेरी ज़िंदगी है क्या एक कटी पतंग है

सपनों के देवता क्या तुझको करूँ मैं अर्पण
पतझड़ की मैं हूँ छाया मैं आँसुओं का दर्पण
यही मेरा रूप है यही मेरा रँग है
मेरी ज़िंदगी है क्या; एक कटी पतंग है
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Na koi umang hai-Kati Patang 1970

Artist: Asha Parekh

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