आदमी जो कहता है-मजबूर १९७४
की फिल्म मजबूर का किशोर का गाया ये गीत दर्शनवादी
है. कहा जाता है वाणी खत्म नहीं होती उसी प्रकार कर्म भी
खत्म नहीं होते. अच्छा बुरा जैसा बोलो या करो उसका
प्रतिफल अवश्य प्राप्त होता है.
गीत आनंद बक्षी का लिखा हुआ है जिसे परदे पर अमिताभ
गा रहे हैं. संगीत लक्ष्मी प्यारे का है.
गीत के बोल:
कभी सोचता हूँ कि मैं चुप रहूँ
कभी सोचता हूँ कि मैं कुछ कहूँ
आदमी जो कहता है आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
आदमी जो कहता है आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
आदमी जो देता है आदमी जो लेता है
रास्ते मे वो दुआयें पीछा करती हैं
कोई भी हो हर ख़्वाब तो सच्चा नहीं होता
कोई भी हो हर ख़्वाब तो सच्चा नहीं होता
बहुत ज्यादा प्यार भी अच्छा नहीं होता
कभी दामन छुड़ाना हो तो मुश्किल हो
प्यार के रिश्ते टूटे तो प्यार के रस्ते छूटे तो
रास्ते में फिर वफ़ाएं पीछा करती हैं
आदमी जो कहता है आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
कभी कभी मन धूप के कारण तरसता है
कभी कभी मन धूप के कारण तरसता है
कभी कभी फिर झूम के सावन बरसता है
पलक झपके यहाँ मौसम बदल जाए
प्यास कभी मिटती नहीं इक बूँद भी मिलती नहीं
और कभी रिमझिम घटाएं पीछा करती हैं
आदमी जो कहता है आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
आदमी जो देता है आदमी जो लेता है
रास्ते मे वो दुआयें पीछा करती हैं
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Aadmi jo kehta hai-Majboor 1974
Artists: Amitabh Bachchan
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