चाँद जैसे मुखड़े पे-सावन को आने दो १९७९
शायद बिना कूलर ए सी के ठंडक महसूस होने लगे.
इस फिल्म के गाने खूब चले थे अपने समय. इस गीत को लिखा
है पुरुषोत्तम पंकज ने जिनका नाम आपने नहीं सुना होगा. गीत
के संगीतकार हैं राजकमल जिनका नाम से कम ही संगीत प्रेमी
वाकिफ हैं. गायक हैं येसुदास जिन्हें अधिकाँश संगीत प्रेमी जानते
हैं. हम जूने पुराने और खटारा संगीत प्रेमियों की बात कर रहे हैं.
गीत के बोल:
सब तिथियन का चन्द्रमा जो देखा चाहो आज
धीरे धीरे घूँघटा सरकावो सरताज
चाँद जैसे मुखड़े पे बिन्दिया सितारा
नहीं भूलेगा मेरी जान ये सितारा वो सितारा
माना तेरी नज़रों में मैं हूँ एक आवारा हो आवारा
नहीं भूलेगा मेरी जान ये आवारा वो आवारा
सागर सागर मोती मिलते पर्वत पर्वत पारस
तन मन ऐसे भीगे जैसे बरसे महुए का रस
प्यासे गीतों की गंगा का तू ही है किनारा
नहीं भूलेगा मेरी जान ये किनारा वो किनारा
कजरारे चंचल नैनों में सूरज चाँद का डेरा
रूप के इस पावन मन्दिर में हँसा करे बसेरा
अरे कस्तूरी को खोजता फिरता है ये बंजारा
नहीं फूलेगा मेरी जान ये बंजारा वो बंजारा
चाँद जैसे मुखड़े पे बिन्दिया सितारा
नहीं भूलेगा मेरी जान ये आवारा वो आवारा
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Chand jaise mukhde pe-Sawan ko aane do 1979
Artist: Arun Govil
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