एक जुर्म करके हमने-शमा १९६१
फिल्म: शमा
वर्ष: १९६१
गीतकार: कैफी आज़मी
गायिका: सुमन कल्याणपुर
संगीत: गुलाम मोहम्मद
गीत के बोल:
एक जुर्म करके हमने
एक जुर्म करके हमने चाहा था मुस्कुराना
चाहा था मुस्कुराना चाहा था मुस्कुराना
मरने न दे मोहब्बत
मरने न दे मोहब्बत जीने न दे ज़माना
जीने न दे ज़माना
हम बेताल्लुक़ी की रस्में निबाह देंगे
रस्में निबाह देंगे
हम बेताल्लुक़ी की रस्में निबाह देंगे
पर तुम न याद करना
पर तुम न याद करना पर तुम न याद आना
पर तुम न याद आना
ये सोचकर बुझा दी ख़ुद शमा आरज़ू की
ये सोचकर बुझा दी ख़ुद शमा आरज़ू की
शायद हो रोशनी में
शायद हो रोशनी में मुश्किल नज़र मिलाना
मुश्किल नज़र मिलाना
जब अश्क पी लिये हैं जब होंठ सी लिये हैं
जब होंठ सी लिये हैं
जब अश्क पी लिये हैं जब होंठ सी लिये हैं
तब पूछती है दुनिया
तब पूछती है दुनिया मुझसे मेरा फ़साना
मुझसे मेरा फ़साना
एक जुर्म करके हमने
एक जुर्म करके हमने चाहा था मुस्कुराना
चाहा था मुस्कुराना चाहा था मुस्कुराना
मरने न दे मोहब्बत
मरने न दे मोहब्बत जीने न दे ज़माना
जीने न दे ज़माना
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Ek jurm kar ke hamne-Shama 1961
Artist: Nimmi
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