May 15, 2017

गा रहा हूँ इस महफ़िल में-दिल का क्या कसूर १९९२

अनवर सागर का लिखा हुआ एक खूबसूरत गीत सुनते हैं.

फिल्म:दिल का क्या कसूर
वर्ष:१९९२
गीतकार:अनवर सागर
गायक:कुमार सानू
संगीतकार: नदीम श्रवण



गीत के बोल:

गा रहा हूँ इस महफ़िल में आपकी मोहब्बत है
आज हूँ मैं जो कुछ भी वो आपकी इनायत है
गा रहा हूँ इस महफ़िल में आपकी मोहब्बत है
गा रहा हूँ इस महफ़िल में आपकी मोहब्बत है
आज हूँ मैं जो कुछ भी वो आपकी इनायत है
आपकी इनायत है
ज़िन्दगी से कैसा शिक़वा खुद से ही शिकायत है
ज़िन्दगी से कैसा शिक़वा खुद से ही शिकायत है
आज हूँ मैं जो कुछ भी वो आपकी इनायत है
आपकी इनायत है
गा रहा हूँ इस महफ़िल में

प्यार की वो सौगातें किस तरह भुला दूँ मैं
प्यार की वो सौगातें किस तरह भुला दूँ मैं
आपका हर एक आँसू पलकों पे उठा लूँ मैं
पलकों पे उठा लूँ मैं
आपके ही दम से तो ये आज मेरी शोहरत है
आपके ही दम से तो ये आज मेरी शोहरत है
आज हूँ मैं जो कुछ भी वो आपकी इनायत है
आपकी इनायत है
गा रहा हूँ इस महफ़िल में

कितने रंग हैं जीवन के ये अजब कहानी है
कितने रंग हैं जीवन के ये अजब कहानी है
कुछ मिले तो कुछ खो जाए रीत ये पुरानी है
रीत ये पुरानी है
किसको क्या मिला यहाँ सब अपनी अपनी क़िस्मत है
किसको क्या मिला यहाँ सब अपनी अपनी क़िस्मत है
आज हूँ मैं जो कुछ भी वो आपकी इनायत है
आपकी इनायत है
गा रहा हूँ इस महफ़िल में

काश फिर कोई नग़मा इस फ़िज़ा में लहराए
काश फिर कोई नग़मा इस फ़िज़ा में लहराए
दूर से सही लेकिन आपकी सदा आए
आपकी सदा आए
मेरे दिल की हर धड़कन अब आपकी अमानत है
मेरे दिल की हर धड़कन अब आपकी अमानत है
आज हूँ मैं जो कुछ भी वो आपकी इनायत है
आपकी इनायत है
गा रहा हूँ इस महफ़िल में आपकी मोहब्बत है
आज हूँ मैं जो कुछ भी वो आपकी इनायत है
आपकी इनायत है आपकी इनायत है
आपकी इनायत है आपकी इनायत है
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Gaa raha hoon is mehfil mein-Dil ka kya kasoor 1992

1 comments:

C.L. Khor,  February 6, 2018 at 10:33 PM  

अच्छा गीत है

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