नाव चली-आशीर्वाद १९६८
पहले सुन चुके हैं. अब सुनते हैं दूसरा गीत जिसके गायक,
गीतकार और संगीतकार वही हैं जो पिछले गीत में थे.
परदे पर इसे अशोक कुमार गा रहे हैं. मैराथॉन स्टाइल का
गीत २ मिनट में गा लिया गया है. ये है पुराने ज़माने का
रैप सोंग.
गीत के बोल:
नाव चली
नानी की नाव चली
नीना के नानी की नाव चली
लम्बे सफ़र पे
सामान घर से निकाले गये
नानी के घर से निकाले गये
इधर से उधर से निकाले गये
और नानी की नाव में डाले गये
क्या क्या डाले गये
एक छड़ी एक घड़ी
एक झाड़ू एक लाडू
एक सन्दुक एक बन्दुक
एक तलवार एक सलवार
एक घोड़े की जीन
एक ढोलक एक बीन
एक घोड़े की नाल
एक जीवर का जाल
एक लह्सुन एक आलू
एक तोता एक भालू
एक डोरा एक डोरी
एक बोरा एक बोरी
एक डंडा एक झंडा
एक हंडा एक अंडा
एक केला एक आम
एक पक्का एक कच्चा
और
टोकरी में एक बिल्ली का बच्चा
म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ
फिर एक मगर ने पीछा किया
नानी की नाव का पीछा किया
नीना के नानी की नाव का पीछा किया
फिर क्या हुआ
चुपके से पीछे से
ऊपर से नीचे से
एक एक सामान खींच लिया
एक बिल्ली का बच्चा
एक केला एक आम
एक पक्का एक कच्चा
एक अंडा एक हंडा
एक झंडा एक डंडा
एक बोरी एक बोरा
एक डोरी एक डोरा
एक तोता एक भालू
एक लह्सुन एक आलू
एक जीवर का जाल
एक घोड़े की नाल
एक ढोलक एक बीन
एक घोड़े की जीन
एक तलवार एक सलवार
एक बन्दूक एक संदूक
एक लाडू एक साडू
एक छड़ी एक घड़ी
मगर नानी क्या कर रही थी
नानी थी बिचारी बुड्ढी बहरी
नीना की नानी बुड्ढी बहरी
नानी की नींद थी इतनी गहरी
इतनी गहरी
कित्ती गहरी
नदिया से गहरी दिन दोपहरी
रात की रानी ठंडा पानी
गरम मसाला पेट में ताला
साड़े सोला पंद्रह एका पंद्रह
दूना तीस तीया पैंतालिस
चौके साठ पौना पच्चत्तर
छक्के नब्बे साती पिचलन
आठी बीसन नबर पचीसा
गले में रस्सा
हा हा हा
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Naav chali-Aashirwad 1968
Artist: Ahok Kumar, Baby Sarika
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