ओ मेरे रब्बा दिल क्यूँ बनाया-ढाई अक्षर प्रेम के २०००
चीज़ें प्रकट हुयीं जिनमें से एक है फिल्म ढाई अक्षर प्रेम के. फिल्म
का साउंड ट्रेक जितना बढ़िया है काश फिल्म भी उतनी होती. ऐसा
लगता है कभी कभी कुछ फिल्मों को देख कर जैसे फिल्म उद्योग
चलाना हो इसलिए बनी हों. बनाने वालों को बनाने के लिए कुछ
चाहिए और देखने वालों को देखने के लिए कुछ चाहिए.
फिल्म से एक गीत सुनते हैं जिसमें बड़ा वैलिड क्वश्चन किया जा रहा
है जिसका मेडिकल रिप्लाई तो है-शरीर में रक्त के प्रवाह के लिए
बनाया गया है. दार्शनिक जवाब कुछ यूँ होगा-सभी जीवों से प्रेम करो
इसलिए, प्रेमियों की परिभाषा में-भावनाएं उमडें और खुशी, दर्द इत्यादि
का एहसास हो इसलिए.
गीत समीर ने लिखा है जिसे अनुराधा पौडवाल संग के के ने गाया है.
जतिन ललित का संगीत है जिनकी एक उल्लेखनीय फिल्म मोहब्बतें
भी २००० में आई थी.
गीत के बोल:
ओ मेरे रब्बा दिल क्यूँ बनाया
तन्हाई से तड़पना क्यूँ सिखाया
ओ मेरे रब्बा दिल क्यूँ बनाया
तन्हाई से तड़पना क्यूँ सिखाया
कैसी है तेरी ख़ुदाई कोई सुने ना दुहाई
हो गई क्या खता मिट गए
हो गई क्या खता लुट गए
ओ मेरे रब्बा दिल क्यूँ बनाया
तन्हाई से तड़पना क्यूँ सिखाया
कौन है दिल के पास जो धड़कनें सुन रहा
दूर से मेरी मांग में चाँदनी बुन रहा
बीते हुए लम्हें याद न कर
ऐ इश्क़ हमें बरबाद न कर
अश्क़ों के समंदर सूख गए
अब मिलने की फ़रियाद न कर
दर्द का आलम है ठहरा
दूर तलाक है सेहरा
प्यार के हर निशाँ मिट गए
हो गई क्या खता लुट गए
ओ मेरे रब्बा दिल क्यूँ बनाया
तन्हाई से तड़पना क्यूँ सिखाया
जिस्म तो बेजान है तेरे बिन तेरे बिन
रोशनी से हैं जुदा मेरे दिन मेरे दिन
दिल वो नगर है जो बसता नहीं उजड़ के
पछताएगा या रब तू ये बस्ती उजाड़ के
कभी रंजिश कभी शिकवे कभी मन्नत कभी नाले
किया ना इश्क़ तू कैसे भला इस दर्द को जानें
चोट जिगर ने खाई
होंठों तक आह न आई
चाहतों के दिये बुझ गए
हो गई क्या खता लुट गए
ओ मेरे रब्बा दिल क्यूँ बनाया
तन्हाई से तड़पना क्यूँ सिखाया
कैसी है तेरी ख़ुदाई कोई सुने ना दुहाई
हो गई क्या खता मिट गए
हो गई क्या खता लुट गए
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O mere Rabba-Dhai akshar prem ke 2000
Artists: Abhishek Bachcan, Aishwarya Rai

2 comments:
classic
वीडियो लिंक गायब हो जाने के बाद classic की c(lassi)c
बन जाती है जी.
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