ज़रा हौले-हौले चलो-सावन की घटा १९६६
हैं. पुरुष प्रधान व्यवस्था में ज्यादा हो भी कैसे सकते हैं.
आज सुनते हैं सावन की घटा से एक गीत. कहानी में नायक
पहले नायिका को छेड़ता है उसके बाद नायिका नायक को
छेड़ती है. ये काफी लोकप्रिय गीत है अपनी धुन की वजह से.
एस एच बिहारी की रचना है, ओ पी नैयर का संगीत और
आशा भोंसले की आवाज़.
गीत के बोल:
हौले-हौले साजना धीरे-धीरे बालमा
ओ हो हो हो हूँ हूँ हूँ
ज़रा हौले हौले चलो मोरे साजना
हम भी पीछे हैं तुम्हारे
ज़रा हौले हौले चलो मोरे साजना
हम भी पीछे हैं तुम्हारे
कैसी भीगी-भीगी रुत है सुहानी
कैसे प्यारे नज़ारे
ज़रा हौले हौले चलो मोरे साजना
हम भी पीछे हैं तुम्हारे
ज़रा हौले हौले चलो मोरे साजना
हम भी पीछे हैं तुम्हारे
पड़ गई जनाब मैं तो आप के गले
अब तो निभाए बगैर ना चले
पड़ गई जनाब मैं तो आप के गले
अब तो निभाए बगैर ना चले
प्यार के सफ़र में होते ही रहेंगे
झगड़े हज़ार सनम
प्यार के दीवाने चलते ही रहेंगे
फिर भी मिला के कदम सजना
होते ही रहेंगे नीची नज़र के
मीठे मीठे इशारे
ज़रा हौले हौले चलो मोरे साजना
हम भी पीछे हैं तुम्हारे
ज़रा हौले हौले चलो मोरे साजना
हम भी पीछे हैं तुम्हारे
देख ली हुज़ूर मैने आप की वफ़ा
बातों ही बातों में हो गये खफ़ा
देख ली हुज़ूर मैने आप की वफ़ा
बातों ही बातों में हो गये खफ़ा
दिल को तो दिलबर ले ही चुके हो
दिल का करार न लो
मुझे मेरा प्यार दो दुनिया संवार दो
जीने की बात करो सजना
तुम जो नहीं तो कैसे लगेगी
जीवन नैया किनारे
ज़रा हौले हौले चलो मोरे साजना
हम भी पीछे हैं तुम्हारे
ज़रा हौले हौले चलो मोरे साजना
हम भी पीछे हैं तुम्हारे
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Zara haule haule chalo-Sawan ki ghata 1966
Artists: Asha Parekh, Manoj Kumar
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