अपनी धुन में रहता हूँ-गुलाम अली गज़ल
नसीर काज़मी के बोल हैं और धुन स्वयं गायक
ने तैयार की है.
गज़ल के बोल:
अपनी धुन में रहता हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
ओ पिछली रुत के साथी
अब के बरस मैं तन्हा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
तेरी गली में सारा दिन
दुख के कंकर चुनता हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
मेरा दिया जलाये कौन
मैं तेरा खाली कमरा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
अपनी लहर है अपना रोग
दरिया हूँ और प्यासा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
आती रुत मुझे रोयेगी
जाती रुत का झोँका हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
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Apni dhun mein rehta hoon-Ghulam Ali Ghazal
2 comments:
इस पोस्ट का साइज़ ठीक है
हाँ, नपा तुला है.
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