चमकते चाँद को टूटा हुआ-आवारगी १९९०
आपको गैर फ़िल्मी गीत सुनवाते रहते हैं समय समय पर.
आज सुनते हैं एक फ़िल्मी गीत.
असद भोपाली की एक रचना सुनते हैं सन १९९० की फिल्म
आवारगी से जिसे अन्नू मलिक के संगीत की सेवा प्राप्त है.
इसे गाया है गुलाम अली ने.
फिल्म में गुलाम अली के गाये दो गीत हैं. अनिल कपूर
पर फिल्माए गए इस गीत को काफी लोकप्रियता मिली
है.
गीत के बोल:
चमकते चाँद को टूटा हुआ तारा बना डाला
मेरी आवारगी ने मुझको आवारा बना डाला
बड़ा दिलकश बड़ा रँगीन है ये शहर कहते हैं
यहाँ पर हैं हज़ारों घर घरों में लोग रहते हैं
मुझे इस शहर की गलियों का बंजारा बना डाला
चमकते चाँद को टूटा हुआ तारा बना डाला
मैं इस दुनिया को अक्सर देखकर हैरान होता हूँ
न मुझसे बन सका छोटा सा घर दिन रात रोता हूँ
खुदाया तूने कैसे ये जहां सारा बना डाला
चमकते चाँद को टूटा हुआ तारा बना डाला
मेरे मालिक मेरा दिल क्यूँ तड़पता है सुलगता है
तेरी मर्ज़ी तेरी मर्ज़ी पे किसका ज़ोर चलता है
किसी को गुल किसी को तूने अंगारा बना डाला
चमकते चाँद को टूटा हुआ तारा बना डाला
यही आग़ाज़ था मेरा यही अंजाम होना था
मुझे बरबाद होना था मुझे नाकाम होना था
मेरी तक़दीर ने मुझको तक़दीर का मारा बना डाला
चमकते चाँद को टूटा हुआ तारा बना डाला
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Chamakte chand ko-Awargi 1990
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