कोई किसी का दीवाना ना बने-सरगम १९५०
किसी की याद आती है. जीवन से याद और खेत से खाद का
रिश्ता पुराना है. काश याद जिंदगी के मुक़दमे में खारिज हो
पाती.
पी एल संतोषी का लिखा ये गीत लता के गाये सर्वश्रेष्ठ गीतों
में से एक है. अच्छा गीत बनाने के लिए सितार या सरोद को
गले में लटका के शीर्षासन करने की ज़रूरत नहीं होती. मीड
या मुरकियों से अगर लुभावना संगीत तैयार होता तो आज
सारे क्लासिकल सिंगर्स फेमस होते आम जनता के बीच
बजाये फ़िल्मी सिंगर्स के.
पांच पन्ने का निबंध लिखो या यहाँ वहां की आयं-बायं-सायं
करो, एक अच्छा गीत अच्छा है तो है, और रहेगा. किसने
पिक्चर बनाई, पिक्चर बनते समय कलाकारों के लिए जलपान
कौन लाता था, किसको जुकाम हुआ, किसने अपान वायु
छोड़ी ये सब बेमानी लगता है विवरण में.
प्यारेलाल संतोषी की रचना को फिल्माया गया है रेहाना पर.
गीत में साजिन्दे भी दिखाई दे रहे हैं और इनमें एक विलायती
अंकल प्यानो भांज रहे हैं. गीत गाते गाते नायिका स्टीरियो
के चैनल की आवाज़ भांति दायें से बाएं घूम जाती है. गीत के
अंत में उसका सर घूम जाता है और वो लुढ़क जाती है.
गीत के बोल:
तस्वीर-ए-यार दिल से मिटाई ना गई
आन्सुओं से आग ये बुझाई ना गई
फाँस बन के सांस में अटकी है उनकी याद
लाख चाहा भूलना भुलाई ना गई
कोई किसी का दीवाना ना बने
कोई किसी का दीवाना ना बने
हो तीर-ए-नज़र का निशाना ना बने
निशाना ना बने
दीवाना ना बने
कोई किसी का दीवाना ना बने
आग लगे ऐसी आग को हाय
जिसके देखे से कोई जल जाये
आग लगे ऐसी आग को हाय
जिसके देखे से कोई जल जाये
ऐसी शमा का परवाना ना बने
ऐसी शमा का परवाना ना बने
हो तीर-ए-नज़र का निशाना ना बने
कोई किसी का दीवाना ना बने
दीवाना ना बने
दीवाना ना बने
कोई किसी का दीवाना ना बने
दिल लगाने को समझते थे दिल्लगी
उनके हाथों दे दी अपनी जिंदगी
दिल लगाने को समझते थे दिल्लगी
उनके हाथों दे दी अपनी जिंदगी
दुनिया के हँसने का बहाना न बने
दुनिया के हँसने का बहाना न बने
हो तीर-ए-नज़र का निशाना ना बने
कोई किसी का दीवाना ना बने
दीवाना ना बने
दीवाना ना बने
कोई किसी का दीवाना ना बने
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Koi kisi ka deewana na bane-Sargam 1950
Artist: Rehana
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