तू शमा मैं परवाना-खिलाडी १९९२
में कॉलेज के दृश्य फिल्मों में दिखलाई दिए. इनमें दशक दर
दशक बदलाव आते चले, कभी फैशन के तो कभी संवाद अदायगी
के.
९० के दशक की फिल्मों में २ गीत ऐसे हैं जो कॉलेज की थीम
पर बने और काफी लोकप्रिय हुए, एक तो यही गीत जो आप
सुनेंगे और दूसरा जय देवगन की फिल्म फूल और कांटे का.
कॉलेज की थीम पर बनी फिल्मों में एक ना एक स्टेज वाला गीत
ज़रूर होता है. फिल्म खिलाडी में भी एक ऐसा ही गीत है जिसे
अभिजीत और अलीशा चिनॉय ने गाया है. समीर के बोल हैं और
जतिन ललित का संगीत.
गीत के बोल:
मैं हसीं ये महफ़िल है जवां
कोई है यहाँ मुझसा कहाँ
मस्ती भरी जवानी है
हर अदा मस्तानी है
देखो मुझे हे
मैं हूँ हसीना हसीना हसीना हसीना
ओ शमा मैं परवाना तेरा
हे सुन ज़रा तू अफसाना मेरा
सबको मेरा सलाम है
हर ज़बान पे मेरा नाम है
देखो मुझे हे
मैं हूँ दीवाना दीवाना दीवाना दीवाना
मैं हसीं ये महफ़िल है जवां
क्या है तू और मैं हूँ क्या
अभी होगा फैसला ये
किस्में कितना जोर है
चल जायेगा पता ये
जब तलक है दम में दम
तेरे हमको क्या कोई गम
हमको इतनी है खबर
कभी हारेंगे नहीं हम
तुझपे मैं छा जाऊँगा
रंग अपना जमाऊंगा
तुझपे मैं छा जाऊँगा
रंग अपना जमाऊंगा
देखो मुझे हे
मैं हूँ दीवाना दीवाना दीवाना दीवाना
मैं हसीं ये महफ़िल है जवां
कोई है यहाँ मुझसा कहाँ
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Too shama main parwana-Khiladi 1992
Artiists: Akshay Kumar, Unknown face
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